Winter Session : RS-LS की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, जानिए कितने प्रतिशत हुआ काम ?

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Published By Sakshi Singh
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नई दिल्ली। राज्यसभा की, शीतकालीन सत्र की बैठक शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई और इस दौरान सदन में 102 प्रतिशत कामकाज हुआ। सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पारंपरिक संबोधन में बताया कि इस दौरान 63 घंटे 20 मिनट का कामकाज निर्धारित था जबकि 64 घंटे 50 मिनट कामकाज हुआ।

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सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस दौरान सदन में कई महत्वपूर्ण विधेयकों को चर्चा कर पारित किया गया और कई जरूरी मामलों पर सदन में चर्चा हुई। सत्र की शुरुआत सात दिसंबर को हुई थी और इसे 29 दिसंबर तक चलना था। किंतु इसे छह दिन पहले, आज ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 

सत्र के दौरान धनखड़ ने बतौर सभापति पहली बार सदन की कार्यवाही का संचालन किया। राज्यसभा में तमिलनाडु तथा कुछ अन्य राज्यों की विभिन्न जातियों को अनुसूचित जनजाति में डालने संबंधी विधेयकों, समुद्री मार्ग पर जहाजों को लूटने वाले दस्युओं पर शिकंजा कसने और महासागरों के माध्यम से व्यापार को प्रभावी एवं सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से प्रस्तुत समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 को भी मंजूरी दी गई।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के मुद्दे पर तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कोविड महामारी के संबंध में बयान दिया। सत्र के दौरान उच्च सदन ने वर्तमान वित्त वर्ष के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों को चर्चा कर लोकसभा को लौटा दिया। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी थी। 

लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित 
शीतकालीन सत्र के लिए लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) संसद के शीतकालीन सत्र के लिए लोकसभा की बैठक शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई। शीतकालीन सत्र में लोकसभा की कार्यवाही निर्धारित समय से छह दिन पहले सम्पन्न हुई जिसकी कार्य उत्पादकता लगभग 97 प्रतिशत रही तथा 13 बैठकों में 68 घंटे 42 मिनट कामकाज हुआ।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने निचले सदन में कहा कि 17वीं लोकसभा का 10वां सत्र समाप्त हो रहा है जिसकी शुरूआत 7 दिसंबर को हुई थी। उन्होंने बताया, इस सत्र के दौरान 13 बैठकें हुईं, जिनमें 68 घंटे 42 मिनट कामकाज हुआ। इस सत्र की कार्य उत्पादकता लगभग 97 प्रतिशत रही। उन्होंने बताया कि सत्र में नव निर्वाचित सदस्य के रूप में समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने शपथ ली।

बिरला ने बताया कि सत्र के दौरान महत्वपूर्ण वित्तीय एवं विधायी कामकाज पूरे किए गए। इस दौरान लोकसभा ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 3.25 लाख करोड़ रुपये की अनुदान की अनुपूरक मांगों और 2019-20 के लिए अनुदान की अतिरिक्त मांगों को मंजूरी दी। इस पर 10 घंटे 53 मिनट चर्चा हुई। सत्र के दौरान 9 सरकारी विधेयक पेश किये गए और सात विधेयक को सदन ने पारित किया। 

इसके अलावा, सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान लोक महत्व के 374 विषय उठाये। साथ ही नियम 377 के तहत सदस्यों ने 298 मुद्दे उठाये। सत्र में स्थायी समितियों के 36 प्रतिवेदन रखे गए और मंत्रियों ने महत्वपूर्ण विषयों पर 23 वक्तव्य रखे। अध्यक्ष ने कहा कि शीतकालीन सत्र के दौरान 56 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गए।

लोकसभा में तमिलनाडु की दो जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में डालने के प्रावधान वाले संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दी गई। इसमें तमिलनाडु की नारीकोरवन और कुरुविक्करन पहाड़ी जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का प्रावधान है। 

संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2022 को भी सदन ने मंजूरी दे दी, जिसमें हिमाचल प्रदेश के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, सदन ने संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दी जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित 12 समुदायों को जनजातीय सूची में शामिल करने का प्रावधान है। साथ ही, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (चौथा संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी मिली जिसमें कर्नाटक की दो आदिवासी जातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में लाने का प्रावधान है। 

निचले सदन ने समुद्री मार्ग पर जहाजों को लूटने वाले दस्युओं पर शिकंजा कसने और महासागरों के माध्यम से व्यापार को प्रभावी एवं सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से प्रस्तुत समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 को भी मंजूरी दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के मुद्दे पर लोकसभा में बयान दिया। लोकसभा में नियम 193 के तहत देश में मादक पदार्थ दुरुपयोग की समस्या और इस संबंध में सरकार द्वारा उठाये गये कदम विषय पर चर्चा हुई जिसमें गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप किया। 


बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के रितेश पांडेय द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी सहायकों के लिए कल्याणकारी कदम पर पेश गैर-सरकारी संकल्प पर चर्चा पूरी हुई। सदन ने ध्वनिमत से इसे अस्वीकार कर दिया। लोकसभा अध्यक्ष के वक्तव्य के बाद सदन में राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन बजाई गई। इसके बाद बिरला ने सदन की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।

गौरतलब है कि मूल कार्यक्रम के अनुसार, संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से शुरू होकर 29 दिसंबर तक चलना था। लेकिन क्रिसमस के कारण कई सदस्यों ने समय से पहले सत्र स्थगित करने का आग्रह किया था। 


कांग्रेस सदस्यों ने किया बहिर्गमन 
राज्यसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सदस्यों ने गत 21 दिसंबर को कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा की गई टिप्पणी पर आसन की ओर से दी गई प्रतिक्रिया को कार्यवाही से हटाने की मांग को लेकर शून्यकाल में हंगामे के बाद सदन से बहिर्गमन किया। उच्च सदन की बैठक शुरू होने के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। फिर, उन्होंने शून्यकाल शुरू कराया और भारतीय जनता पार्टी के डॉ जी वी एल नरसिम्हा राव से उनका लोक महत्व से जुड़ा मुद्दा उठाने के लिए कहा।

इसी बीच कांग्रेस सदस्य प्रमोद तिवारी ने कुछ कहना चाहा। सभापति ने उन्हें अनुमति दी और तिवारी ने कहा कि सदन के बाहर संसदीय दल की बैठक में कोई बात की जाए और उसका संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा संज्ञान लेना और तत्काल प्रतिक्रिया देना इस सदन की परिपाटी नहीं है। तिवारी ने कहा कि आसन की ओर से जिस बात पर प्रतिक्रिया दी गई वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष ने संसदीय दल की बैठक में की थी, इस सदन में नहीं की थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अगर सदन के बाहर कुछ कहते हैं और उस बात को सदन में उठाया जाता है तो आसन की यह व्यवस्था है कि सदन के बाहर कही गई बातों पर संज्ञान नहीं लिया जाएगा। 

तिवारी ने कहा, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष ने संसदीय दल की बैठक में न्यायपालिका को लेकर जो चिंता जताई थी उस पर सदन में प्रतिक्रिया दी गई। तिवारी ने मांग की कि इसे सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाना चाहिए। सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने तिवारी की बात से सहमति जताते हुए कहा,  नियम तो यहां तक है कि लोकसभा में अगर कोई सदस्य कुछ कहता है तो उस पर इस सदन में चर्चा नहीं होगी। और वह भी आसन की ओर से कहा जाए तो.... यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं अगर सदन के बाहर कुछ कहूं तो उस पर भी सदन में चर्चा नहीं होगी।

खरगे ने कहा कि आसन की ओर से कल दी गई प्रतिक्रिया को कार्रवाई से निकाल कर यह मिसाल कायम करनी चाहिए कि सदन के बाहर जो कुछ भी बोला जाएगा उस पर सदन में बात नहीं होगी। सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष के नेता भी उनके प्रति पूरा सम्मान जाहिर करें जो पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित हुए हैं और देश के उप राष्ट्रपति हैं। उनके बारे में कोई भी टिप्पणी सोच समझ कर की जानी चाहिए चाहे वह सदन में की जाए या बाहर की जाए।

सभापति धनखड़ ने कहा कि इस सदन का सभापति होने के नाते उन्हें उन आरोपों से गहरी पीड़ा हुई जो न्यायपालिका को संबद्ध करते हुए उन पर लगाए गए। उन्होंने कहा कि बात चाहे इस सदन की हो या उस सदन की, हर व्यक्ति सम्मान का अधिकारी है। उन्होंने कहा कि वह इस सदन के सभापति हैं और सदन की गरिमा को बनाए रखना उनकी सर्वोच्च कोशिश होगी। इसके बाद सभापति ने शून्यकाल आरंभ किया। बहरहाल, कांग्रेस सदस्य आसन की ओर से दी गई प्रतिक्रिया को कार्यवाही से निकालने की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए। 

उल्लेखनीय है कि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को पार्टी संसदीय दल की बैठक में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार सुनियोजित ढंग से न्यायपालिका के प्राधिकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जो बहुत ही परेशान करने वाला घटनाक्रम है। 

संप्रग अध्यक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जनता की नजर में न्यायपालिका की स्थिति को कमतर बनाने का प्रयास कर रही है। इस पर बृहस्पतिवार को सदन में धनखड़ ने कहा था कि संप्रग अध्यक्ष का बयान उनके विचारों से पूरी तरह से भिन्न है और न्यायपालिका को कमतर करना उनकी सोच से परे है। उन्होंने कहा कि संप्रग अध्यक्ष का बयान पूरी तरह अनुचित है और लोकतंत्र में उनके विश्वास की कमी का संकेत देता है।

धनखड़ ने पूर्व में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को रद्द किए जाने को लेकर पिछले दिनों न्यायपालिका की आलोचना की थी और इसे "संसदीय संप्रभुता से समझौते" का उदाहरण बताया था।

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