सुल्तानपुर: धरसौली माइनर की पटरी कटी, कई बीघा फसलें जलमग्न 

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Published By Jagat Mishra
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सिंचाई विभाग के अभियंता व ठेकेदार की लापरवाही पड़ रही भारी 

अमृत विचार, मोतिगरपुर/ सुल्तानपुर। सिंचाई विभाग के अभियंताओं व ठेकेदारों की लापरवाही के चलते नहर के किनारे स्थित किसानों की सैकड़ों बीघा फसलें अक्सर नहर व माइनर की पटरियां टूटने की वजह से जलभराव के चलते बर्बाद होती रही है। ऐसे में ताजा मामला मोतिगरपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत मलवा से जुड़ा है। जहां रविवार की रात धरसौली माइनर की पश्चिमी पटरी जल रिसाव के चलते टूट गई और दर्जनों किसानों की गेहूं, चना, मटर और आलू की फसल पूरी तरह से जलमग्न हो गई।

शारदा सहायक खंड-16 नहर के धरसौली गांव के पास से निकली धरसौली माइनर मलवा ग्राम पंचायत से होकर गौरा ग्राम पंचायत से होते हुए नाले में जाकर मिलती है। कहने को तो सिंचाई विभाग हर वर्ष माइनर की हेड से टेल तक सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च करता है, लेकिन हकीकत में माइनरों की सफाई का काम कागजों में ही पूरा कर लिया जाता है। रविवार की रात मलवा गांव में धरसौली माइनर की पश्चिमी पटरी टूट जाने के चलते दर्जनों किसानों की गेहूं की फसल पूरी तरह से जलमग्न हो गई। 

सुबह किसानों को जानकारी होने पर ग्रामीणों ने भीषण ठंड व कोहरे के बीच पहले माइनर के हेड पर पानी को बंद किया। उसके बाद बोरी में मिट्टी व लकड़ी आदि लगाकर किसी तरह माइनर के पानी को रोका। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पूर्व ही विभाग द्वारा महज एक किलोमीटर तक माइनर की सफाई की गई। आगे माइनर पूरी तरह से मिट्टी से पटा पड़ा है। 

इन किसानों की फसलें जलमग्न 
जलभराव के चलते पवन कुमार मिश्रा का करीब छह बीघा गेंहू, डेढ़ बीघा सरसों व आधा बीघे आलू की फसल, कमलेश मिश्र का ढाई बीघा गेंहू, महेश मिश्र का ढाई बीघा गेंहू, रबि प्रकाश मिश्र का छह बीघा गेंहू, एक बीघा मटर-सरसों, रवींद्र सिंह का दो बीघा गेंहू, जय नारायण मिश्र का डेढ़ बीघा गेंहू, सत्य नारायण मिश्र का डेढ़ बीघा गेंहू, छोटेलाल मिश्र का एक बीघा गेंहू, बाबूराम मिश्र का एक बीघा गेंहू व मग्घू हरिजन का दो बीघा गेंहू सहित कई लोगों की फसलें पूरी तरह जलमग्न हो गई है। 

यही नहीं कई किसान ऐसे भी हैं जिन की फसलें अक्सर माइनर में पानी के ओवरफ्लो के चलते डूबती रहती है। जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद कोई भी जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा। किसान संगठनों ने भी कई बार माइनरों के हेड से टेल तक की सफाई का मुद्दा उठाते रहे है, लेकिन सिंचाई विभाग के अभियंता और ठेकेदार मनमाने तरीके से काम कर सिर्फ कागजों में खानापूर्ति कर लेते हैं। जेई मनोज गुप्ता ने बताया कि माइनर को ग्रामीणों की मदद से बंद करा दिया गया है। टेल तक ड्रेसिंग का कार्य करने वाले ठेकेदार के खिलाफ उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।

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