वैश्विक दक्षिण की आवाज 

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
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दुनिया संकट की स्थिति में है और यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अस्थिरता की स्थिति कब तक रहेगी। भू-राजनीतिक तनाव और महामारी ने वैश्विक कर्ज से जुड़ी असुरक्षा को बढ़ा दिया है। अगर इनसे नहीं निपटा गया तो वैश्विक मंदी उत्पन्न हो सकती है और लाखों लोगों को गरीबी में धकेल सकती है। महामारी के बाद दुनिया सामान्य बनने की दिशा में प्रयासरत है, ऐसे समय में वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) क्षेत्र को महामारी, जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियों से निपटने की जरूरत है जो विकास एवं आर्थिक वृद्धि के प्रयासों को प्रभावित कर रही हैं। इन हालात में अपनी चिंताएं साझा करने के लिए दक्षिणी गोलार्द्ध के 120 से अधिक देशों का पहला शिखर सम्मेलन गुरुवार को शुरू हुआ। 

सम्मेलन की मेज़बानी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संघर्ष, युद्ध, आतंकवाद और उससे खड़ी होने वाली विभिन्न वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए विकासशील देश साथ आएं। पीएम मोदी ने विकासशील देशों के नेताओं से कहा कि आपकी आवाज भारत की आवाज है और आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं। 21वीं सदी में वैश्विक विकास दक्षिण के देशों से होगा। 

‘ग्लोबल साउथ’ के अंतर्गत एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देश शामिल हैं। इससे विकासशील विश्व के हितों के पक्ष में माहौल बनाने का उपयुक्त मंच तैयार हुआ है। भारत हमेशा से विकासशील देशों की आवाज को मुखरता से उठाने में अग्रणी रहा है। मौजूदा सरकार के दौर में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और मंचों पर सक्रियता दर्ज कराई है। 

स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य वैश्विक दक्षिण की आवाज  को सशक्त बनाना है। इस वर्ष भारत जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है। जी 20 की थीम एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य है। आज कई विकसित देशों की अर्थव्यवस्था धीमी हो रही हैं। स्पष्ट है कि 21वीं सदी में विकास वैश्विक दक्षिण के देशों से होगा और साथ मिलकर काम करें तो ग्लोबल साउथ के देश  वैश्विक एजेंडा तय कर सकते हैं। मानव केन्द्रित विकास विकासशील देशों की एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। 

ऐसे में जरूरी है कि वैश्विक दक्षिण के लिए कार्य बिन्दु योजना तैयार हो, एक सशक्त आवाज हो ताकि सब मिलकर बाहरी परिस्थितियों एवं अंतर्राष्ट्रीय तंत्रों पर निर्भरता के दुष्चक्रों से बाहर निकल सकें। यानि एकजुटता से वैश्विक राजनीतिक एवं वित्तीय शासन को रूपांतरित करने की कोशिश करनी चाहिए। इससे असमानता खत्म होगी, अवसर बढ़ेंगे तथा विकास को रफ्तार मिलेगी। प्रगति एवं समृद्धि बढ़ेगी। वैश्विक मुद्दों को हल करने में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की बड़ी भूमिका है। इनमें सुधार और प्रगति को शामिल करना चाहिए।