माकपा, कांग्रेस और मोथा त्रिपुरा चुनाव में गैर भाजपा दलों के सीट बंटवारे को देंगे अंतिम रूप

माकपा, कांग्रेस और मोथा त्रिपुरा चुनाव में गैर भाजपा दलों के सीट बंटवारे को देंगे अंतिम रूप

अगरतला। त्रिपुरा में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कांग्रेस और टीपरा मोथा महागठबंधन के नेता आगामी विधानसभा चुनाव के तौर-तरीके और रणनीति के अन्य पार्टियों को भी साथ लाने के लिए गुरुवार को बैठक करेंगे। सूत्रों ने आज यहां बताया कि कोई भी दल सीटों के बंटवारे के एजेंडे पर सभी 60 निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ आमने-सामने की लड़ाई सुनिश्चित करने पर विचार करने के बजाय एक ही मंच से लड़ने के लिए औपचारिक गठबंधन नहीं चाहता है। 

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कांग्रेस और माकपा के बीच कई दौर की चर्चा हो चुकी है और दोनों दलों ने त्रिपुरा की मुख्य आदिवासी पार्टी मोथा को अपने साथ शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। टिपरा मोथा के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मन ने बुधवार को दोहराया कि वह ग्रेटर टिपरालैंड की मांग पर कोई समझौता नहीं करना चाहते है अगल राज्य की मांग पर लिखित समझौते के बिना गठबंधन में शामिल होने को तैयार नहीं है। साथ ही गैर भाजपा दलों के साथ वोट बंटवारा भी नहीं चाहते है।

 उन्होंने कहा कि हमने 45 सीटों पर लड़ने का लक्ष्य रखा है, लेकिन हम ऐसा उम्मीदवार भी खड़ा नहीं करना चाहते हैं, जहां जीतने की संभावना कम हो। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा के लोग अब भाजपा को उसकी धोखाधड़ी के कारण विश्वास नहीं करेंगे और हम उन्हें वापस नहीं आने देंगे। पिछले चुनावों से पहले उन्होंने बड़े-बड़े वादे किए लेकिन कोई भी पूरा नहीं हुआ। इस बीच, माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा कि हम देबबर्मन के संपर्क में हैं और भाजपा के खिलाफ वोट विभाजन को रोकने के लिए हमारा इरादा बहुत स्पष्ट है।

हम भी गठबंधन करने के पक्ष में नहीं हैं बल्कि व्यापक रूप से चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं उम्मीद है कि हम सब मिलकर भाजपा के कुशासन को समाप्त करेंगे। कांग्रेस विधायक और वरिष्ठ नेता सुदीप रॉयबर्मन ने कहा कि हम भी त्रिपुरा में आदिवासियों की समस्याओं के संवैधानिक समाधान के पक्ष में हैं। 125वें संशोधन विधेयक का प्रस्ताव पिछले कुछ वर्षों से संसद में लंबित पड़ा हुआ है। त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) द्वारा भी दिया गया प्रस्ताव कांग्रेस छठी अनुसूची के तहत त्रिपुरा में सभी समुदायों का आपसी विकास चाहती है। ऐसे में गैर भाजपा दलों को एक दायरे में आने में कोई दिक्कत नहीं है। 

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