मथुरा: आंदोलनकारियों ने शंख बजाकर अनोखे तरीके से किया कॉरिडोर का विरोध

मथुरा: आंदोलनकारियों ने शंख बजाकर अनोखे तरीके से किया कॉरिडोर का विरोध

मथुरा, अमृत विचार। श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रस्तावित कॉरिडोर का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। जब से कॉरिडोर के लिए प्रशासन द्वारा चिन्हांकन का कार्य किया गया है तभी से लगातार प्रतिदिन अनोखे तरीकों से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। शनिवार को 11वें दिन आंदोलनकारियों ने शंख बजाकर विरोध प्रदर्शन किया। 

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इस दौरान अमित गौतम ने कहा कि काशी, उज्जैन में सरकार द्वारा कॉरिडोर को भव्य तो बनाया गया परंतु छोटे बड़े सैंकडो प्राचीन  मंदिरों को नष्ट कर दिया। नष्ट किए गए मंदिरों से लोगो की आस्था जुड़ी हुई थी, आज अनेको शिवलिंग काशी में अपने मूल स्थान से हटाकर इधर-उधर छिपाकर रख दिए गए हैं, ताकि लोगों की उन पर नजर न पड़े। यदि सरकार की नज़र में यही विकास है तो इस तरह का विकास ब्रजवासियों को मंज़ूर नहीं है। यह की हर छोटी बड़ी कुंजगलियां, हज़ारों की संख्या में मंदिर, पारंपरिक धरोहर, पौराणिक स्वरूप से हर बृजवासी लगाव है। जब तक कॉरिडोर का फ़ैसला वापस नहीं होता संघर्ष लगातार जारी रहेगा। 

सुमित मिश्रा ने कहा कि सोई हुई सरकार को जगाने के लिए शंखनाद किया गया है। कुंजगलियों को बचाने के लिए सरकार पर कॉरिडोर का जो भूत सवार से उसे उतारने के लिए शंखनाद किया गया है। स्थानीय निवासी दीपक पाराशर ने कहा कि जन्माष्टमी पर भीड़ के दबाव में जिन श्रद्धालुओं की मौत हुई थी, वह सरकार की सोची समझी रणनीति थी। एसएसपी और डीएम जब भीड़ का वीडियो बनाएंगे तो भीड़ को कौन नियंत्रित करेगा। अधिकारी अपनी विफलता को छिपाने के लिए बिहारी जी को कलंकित करना चाहती है। सरकार गुंजगलियों को तोड़कर यहां वीआईपी और वीवीआईपी के लिए सुविधाएं देना चाहती है। कुंज गलियों के नाम पर ही भगवान श्रीकृष्ण को कुंजबिहारी कहा जाता है। जब कुंज गलियां ही नहीं रहेगी तो ब्रजवासी किसे कुंजबिहारी कहेंगे। कॉरिडोर का विरोध मरते दम तक किया जाएगा।

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