परियोजनाओं में देरी

परियोजनाओं में देरी

बेहतर बुनियादी ढांचे से उत्पादकता बढ़ती है, मांग को गति मिलती है, रोजगार सृजित होते हैं और निवेश आता है। इससे अर्थव्यवस्था को ताकत मिलती है और विकास चक्र चलता है। जबकि अपर्याप्त बुनियादी ढांचा विकास की राह में बड़ी बाधा है। विकासशील देशों में विकास प्रक्रिया को गति देने में बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। वर्तमान में केंद्र सरकार के लिए बुनियादी संरचना एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

इसके बावजूद बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 1,438 परियोजनाओं में से 835 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के मुताबिक 343 परियोजनाओं की लागत तय अनुमान से 4.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।

इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है। इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिए जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी परियोजनाओं में विलंब होता है।

एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक रेल परियोजनाओं की लागत अधिक बढ़ी है। रेलवे की173 में से 111 और पेट्रोलियम क्षेत्र की 154 में से 87 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में 769 में 358 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।  

वास्तव में किसी कारणवश परियोजना में विलंब का परिणाम लागत तथा समय की वृद्धि के रूप में सामने आता है। इससे परियोजना की तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता पर या अंतिम उत्पाद के मूल्य को भी संशोधित करने की आवश्यकता पड़ती है। कई बुनियादी संरचना परियोजनाएं लोक कल्याणकारी होती हैं जिससे इन परियोजनाओं में एक सीमा से अधिक शुल्क का निर्धारण नहीं किया जा सकता।

यह विश्व स्तर पर स्वीकार किया जाता है कि सतत विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी अवसंरचना का निर्माण काफी महत्त्वपूर्ण है, जो विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से व्यापक पैमाने पर रोज़गार पैदा करता है। ध्यान रहे बुनियादी ढांचे पर आधारित अधिकांश रिपोर्ट में भारत निम्न वैश्विक रैंकिग पर है।

हालांकि बुनियादी संरचना परियोजनाएं प्रायः जटिल होती हैं। परियोजनाएं दीर्घ अवधि की होती हैं। कई बार इन परियोजनाओं को नीतिगत परिवर्तन व अनुमोदन में विलंब जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकार को बुनियादी ढांचे में वित्त पोषण के निवेश को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा अनुकूल वातावरण भी तैयार करना होगा।