जैव विविधता संरक्षण और चीतों की वापसी CPWD की झांकी के मुख्य आकर्षण रहे
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर रंगीन फूलों से सजी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की झांकी में बृहस्पतिवार को देश से चीतों के विलुप्त होने के 70 साल बाद भारत में उन्हें फिर से बसाये जाने सहित जैव विविधता संरक्षण को दर्शाया गया। झांकी के अगले हिस्से में चीता को दिखाया गया।
अत्यधिक शिकार और रिहायशी स्थानों में आई कमी के कारण वर्ष 1952 में चीतों को भारत में विलुप्त घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर नामीबिया से आठ चीतों के पहले जत्थे को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था। इन्हें कुछ दिनों के लिए पृथक-वास में रखा गया था। चीतों में पांच मादा और तीन नर थे। झांकी में राईल द्वीप कछुआ, मधु मक्खियों, तितलियों, काली क्रेन, लाल गिलहरी, हॉर्नबिल और लेडीबग्स सहित विलुप्त होने के खतरे का सामना करने वाली प्रजातियों को दर्शाया गया। झांकी के आखिरी हिस्से के शीर्ष में एक कैटरपिलर (इल्ली) दिखाया गया।

इसके पिछले छोर पर राष्ट्रीय पक्षी मोर को दर्शाया गया है, जो एक पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैव विविधता उन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है जो मनुष्यों सहित पृथ्वी पर सभी जीवों का समर्थन करती हैं। जैव विविधता के नुकसान को रोकना और अवक्रमित पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
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2011 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया के भौगोलिक क्षेत्र के 2.4 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है और ग्रह के 11.4 प्रतिशत पौधों (लगभग 48,000 प्रजातियों) और इसकी 7.5 प्रतिशत पशु आबादी (लगभग 96,000 प्रजातियों) को समायोजित करता है।
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