गहरा सैन्य सहयोग

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
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अमेरिका वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ा रहा है। बुधवार को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मुलाकात के बाद ब्लिंकन का यह बयान सामने आया है। भारत की मौजूदा नीति अपने राष्ट्रीय हितों की खातिर एक साथ विभिन्न देशों से अच्छे संबंध बनाने की है। दरअसल अमेरिका संबंधों को बेहतर बनाने की भारत की इच्छा और ऐसा करने से होने वाले लाभ दोनों को अधिक महत्व देता है । 

भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति का  स्थिर संतुलन बनाने की अमेरिका की क्षमता की कुंजी है। उसे  भारत जैसे  साझीदारों की जरूरत है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल गत 30 जनवरी से 1 फरवरी तक वाशिंगटन की यात्रा पर रहे। एनएसए डोभाल ने इस यात्रा के दौरान आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सरकार, कांग्रेस, उद्योग, अकादमिक, अनुसंधान से संबद्ध अमेरिकी नीति निर्माताओं और हितधारकों के साथ बैठकें कीं। कहा जा रहा है कि इस दौरान हुईं चर्चाएं अत्याधुनिक क्षेत्रों में भारत-अमेरिका सहयोग को गहरा करने का आधार स्थापित करती हैं । 

उन्होंने अपने समकक्ष जेक सुलिवन से मंगलवार को मुलाकात के दौरान क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) को लेकर अमेरिका-भारत की पहल पर चर्चा की। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद यह वार्ता दोनों देशों के संबंधों में मील का पत्थर होगी।  इसका मकसद दोनों देशों के बीच सामरिक प्रौद्योगिकी साझेदारी तथा रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाना तथा उसे विस्तार देना है। पिछले कई वर्षों से रक्षा क्षेत्र में भारत -अमेरिका के संबंधों में प्रगाढ़ता देखी गई है। 

अमेरिका की राष्ट्रीय रक्षा रणनीति में कहा गया है कि चीन एक रणनीतिक प्रतियोगी है जो अपने पड़ोसियों को अपनी आक्रामक आर्थिक और सैन्य रणनीतियों के माध्यम से डरा रहा है। इसी के चलते रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी को भारत तक पहुंचाने में सक्षम करने हेतु अमेरिका ने 2016 में भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में मान्यता दी , जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका-भारत  संबंध मजबूत हुए हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र के प्रतिस्पर्धी रणनीतिक माहौल और चीन के आक्रामक व्यवहार के बीच हुई इस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी और समन्वय को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की गई। 

महत्वपूर्ण  है कि अमेरिका ने विधायी परिवर्तनों के प्रयासों सहित कुछ प्रमुख क्षेत्रों में भारत के लिए निर्यात बाधाओं को कम करने का आश्वासन दिया है। तेजी से बढ़ते रणनीतिक माहौल से निपटने के लिए दोनों राष्ट्र गहरे सैन्य सहयोग हेतु रक्षा संबंध विकसित कर रहे हैं जो इस क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।