विक्टोरिया गौरी ने मद्रास HC की अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, वकीलों ने किया विरोध प्रर्दशन 

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
On

चेन्नई/दिल्ली। चेन्नई में एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी ने मद्रास हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। मद्रास हाईकोर्ट  के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में विक्टोरिया गौरी के शपथ ग्रहण के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने विरोध प्रर्दशन किया।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने गौरी को मद्रास हाईकोर्ट की न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। मद्रास हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा ने राष्ट्रपति द्वारा जारी नियुक्ति आदेश पढ़ने सहित अन्य परंपराओं के बाद गौरी को अतिरिक्त न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। 

गौरी के अलावा चार अन्य लोगों ने भी मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने न्यायाधीश के रूप में गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवााई करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति संजय खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की विशेष पीठ ने कहा, हम रिट याचिका पर विचार नहीं कर रहे हैं। वजहें बताई जाएंगी।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गौरी की मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सात फरवरी को सुनवाई करने का फैसला किया था। शीर्ष अदालत के फैसले के ठीक पहले केंद्र ने न्यायाधीश के रूप में गौरी की नियुक्ति को अधिसूचित किया था। 

याचिकाकर्ता वकीलों-अन्ना मैथ्यू, सुधा रामलिंगम और डी नागसैला ने अपनी याचिका में गौरी द्वारा मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ की गई कथित घृणास्पद टिप्पणियों का उल्लेख किया था। याचिका में कहा गया था, याचिकाकर्ता न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरे को देखते हुए चौथे प्रतिवादी (गौरी) को उच्च न्यायालय की न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने के वास्ते उचित अंतरिम आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की विशेष पीठ ने सिफारिश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया।

शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि पात्रता और उपयुक्तता के बीच अंतर है। एक तरफ जहां शीर्ष अदालत नवनियुक्त अतिरिक्त न्यायाधीश गौरी से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, वहीं दूसरी तरफ, लगभग उसी समय मद्रास उच्च न्यायालय में उन्हें शपथ दिलाई गई। शीर्ष अदालत ने इससे पहले सोमवार को कहा था कि वह कॉलेजियम के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर 10 फरवरी को सुनवाई करेगी। इस बीच आज न्यायाधीश गौरी के शपथग्रहण के मद्देनजर विशेष पीठ ने सुनवाई की। 

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन की गुहार पर सुनवाई करने के लिए सहमति व्यक्त करते हुए मामले को शुक्रवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। रामचंद्रन ने विशेष उल्लेख के दौरान याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। पीठ के समक्ष रामचंद्रन ने कहा था कि अतिरिक्त न्यायाधीश की नियुक्ति के संबंध में मद्रास के वरिष्ठ वकीलों के एक समूह ने एक याचिका दायर की है। वे तत्काल याचिका पर सुनवाई और अंतरिम राहत की गुहार लगा रहे हैं। 

कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को 13 अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति की जानकारी ट्वीट कर दी, जिनमें लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी का नाम शामिल है। मद्रास उच्च न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने उनकी प्रस्तावित नियुक्ति का विरोध किया है। उनका आरोप है कि वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी रही हैं। 

भाजपा से क्या कनेक्शन
याचिकाकर्ताओं ने एक अपुष्ट अकाउंट से 2019 में किए गए ट्वीट का जिक्र किया था। इसके मुताबिक विक्टोरिया भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव रही हैं। यही नहीं, विरोध का आधार विक्टोरिया के दो कथित इंटरव्यू भी थे जिनमें उन्होंने मुसलमानों और ईसाई समुदाय के खिलाफ टिप्पणियां की थी। इससे पहले केंद्र सरकार ने गौरी समेत 13 नाम हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति के लिए क्लियर किए थे।

कौन हैं विक्टोरिया गौरी
अब तक एडवोकेट गौरी मदुरै बेंच में अडिशनल सॉलिसिटर जनरल के तौर पर केंद्र सरकार का पक्ष रखती आ रही थीं। मद्रास हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के कुछ वकीलों ने चीफ जस्टिस को लिखकर उनका विरोध किया था। वकीलों ने आरोप लगाया कि मुस्लिम और क्रिश्चियन कम्युनिटी के खिलाफ एडवोकेट ने कई आपत्तिजनक बयान दिए हैं।

पहली बार नहीं ऐसा
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब नोटिफिकेशन जारी होने के बाद किसी जज की नियुक्ति को चुनौती दी गई। 30 साल पहले ऐसा मामला आया था जिसमें हाई कोर्ट जज की नियुक्ति के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था। तब ऐडवोकेट केएन श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगा था और जज के तौर पर नियुक्ति का विरोध हुआ था। ऐडवोकेट एलसी विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति को चुनौती देते हुए अर्जी में ऐडवोकेट ने 1992 वाले केस का हवाला दिया है।

1992 में कुमार पद्म प्रसाद बनाम केंद्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के आदेश के बाद नियुक्ति रद्द कर दी थी। केएन श्रीवास्तव को गुवाहाटी हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति का आदेश हुआ था। उन पर करप्शन का आरोप लगा। कहा गया कि ऐडवोकेट के तौर पर उन्होंने प्रैक्टिस नहीं की और न ही वह जुडिशियल अफसर रहे हैं। आरोप था कि वह हाई कोर्ट जज के लिए अनुच्छेद-217 के तहत पात्रता नहीं रखते हैं।

ये भी पढ़ें- तुर्की और सीरिया में भूकंप से जान गंवाने वालों को राज्यसभा में दी गई श्रद्धांजलि

संबंधित समाचार