किसान की समृद्धि

किसान की समृद्धि

किसान को समृद्ध, सुखी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए जरूरी है कि वे परंपरागत खेती के स्थान पर आधुनिक खेती अपनाएं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए बागवानी फसलों की खेती पर जोर देते हुए कहा कि औद्यानिक और औषधीय फसलों से अन्नदाता अपनी आय को दोगुना तीन गुना कर सकते हैं।

वास्तव में औद्यानिक फसलें कृषि कार्य का इंजन है, जो किसान को आर्थिक समृद्धि की ओर ले जाता है। प्रदेश में पर्याप्त जल संसाधन और प्रचुर मात्रा में उर्वरा भूमि है। देश की 11 प्रतिशत कृषि भूमि वाला उत्तर प्रदेश भारत की 20 प्रतिशत आबादी की खाद्यान जरूरतों को पूरा करता है। पूरी कृषि जीडीपी में प्रदेश के किसान 25 फीसदी औद्यानिक फसलों का योगदान देते हैं।

परंपरागत खेती से हटकर फल, फूल एवं सब्जी की खेती करने पर किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। इसके साथ ही सिंचाई के आधुनिक साधनों पर भी अनुदान दिया जा रहा है। औद्यानिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग भी किसानों को समय-समय पर योजनाएं चलाकर सहयोग कर रहा है।

इस दिशा में उद्यान विभाग द्वारा की जा रही पहल की सराहना की जानी चाहिए।  कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय वर्ष 2014-2015 से एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) कार्यान्वित कर रहा है। एमआईडीएच के लागू होने से भारत न केवल बागवानी क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि इसने भूख, अच्छा स्वास्थ्य और देखभाल, गरीबी में कमी, लैंगिक समानता जैसे सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत में वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक का सबसे अधिक 320.77 मिलियन टन बागवानी उत्पादन दर्ज किया गया था।