Kanpur: मल्टी सुपर स्पेशियलिटी में बदलेगा अंग्रेजों का अस्पताल, Macrobert Ganj Hospital को सरकार कर रही विकसित
कानपुर में मैकराबर्टगंज हॉस्पिटल को सरकार विकसित कर रहीं।
कानपुर में मैकराबर्टगंज हॉस्पिटल को सरकार विकसित कर रहीं। वहीं, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के साथ प्रशासन ने तैयारियां तेज की। अस्पताल परिसर का डॉक्टर व प्रशासनिक अधिकारियों ने निरीक्षण किया।
कानपुर, अमृत विचार। शहर को जल्द ही मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल मिल सकता है। अंग्रेजों के जमाने में 207 साल पहले बनाए गए चैरिटेबल मैकराबर्टगंज अस्पताल को सरकार विकसित करने जा रही है। बुधवार को विधानसभा में पारित हो रहे बजट में अत्याधुनिक सुविधाओं वाले इस अस्पताल को लेकर धन निर्धारित होने की उम्मीद है। बजट में हरी झंडी मिलते ही प्रशासन और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज स्तर पर इस प्रोजेक्ट को लेकर काम शुरू हो जाएगा।
सिविल लाइंस की इस 12 एकड़ भूमि पर सरकार 40 फीसदी भूमि पर मल्टी सुपर मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल और चिकित्सकों के रहने के लिए आवास, प्रयोगशाला आदि और 60 फीसद भूमि को मॉल आदि प्रोजेक्ट के प्रयोग में लाने को लेकर काम चल रहा है। बजट पारित होने से पहले जिला प्रशासन की ओर से हलचल भी शुरू हो गई है।
मंगलवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला, उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरी, कोकिलाबेन अस्पताल मुंबई के डॉ. धवल भट्ट, उद्यमी अभिषेक सिंह, तहसीलदार रितेश कुमार सिंह समेत अन्य अधिकारियों ने अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया। अस्पताल की भूमि का आंकलन किया गया है। इसको किस तरह से प्रयोग में लाया जा सकता है, इसको लेकर प्रशासन और मेडिकल कॉलेज अधिकारियों ने मंथन किया।
इतिहास पर एक नजर
सिविल लाइंस स्थित लगभी 12 एकड़ भूमि में वर्ष 1816 के 16 मार्च को ब्रिटिश शासन में दि जियोर्जिना मैकरॉबर्ट मेमोरियल हॉस्पिटल बना था। अस्पताल में लगे शिलापट के अनुसार उस वक्त अस्पताल के मालिक जेम्स स्कॉर्जी मेस्टन ने पत्नी की याद में यह अस्पताल बनाया था। भारत की आजादी से पहले ब्रिटिश शासन ने इस अस्पताल के लिए ट्रस्ट तैयार किया और जिम्मेदारी 11 सदस्यों की कमेटी को सौंप दी गई। बताया जाता है कि उस वक्त बनाई गई कमेटी के सदस्यों का देहांत होने के बाद यह प्रापर्टी विवादों में आ गई। वीआईपी स्थल पर इस जमीन पर कई दावे भी आए। लेकिन, अच्छी बात यह रही कि सरकार ने जमीन को भूमाफिया से सुरक्षित रखा और अब इस बड़े प्रोजेक्ट को लेकर तेजी भी दिख रही है।
कर्मियों को दो साल से नहीं मिला वेतन
सरकार की इस कार्रवाई से चैरिटेबल हॉस्पिटल के कर्मचारियों की भी आस जगी है। कर्मचारियों का कहना है कि इस अस्पताल में 22 कर्मचारी हैं। नर्स, आया, वार्ड ब्वाय, गार्ड आदि हैं, जो अभी अस्पताल परिसर में ही निवास कर रहे हैं। कमेटी विवाद के कारण दो साल से इन्हें वेतन नहीं मिला है। अस्पताल भी बंद है। कर्मचारियों का कहना है कि भुगतान के बाद सरकार इस भूमि पर कोई काम करेगी। इसलिए उम्मीद है कि अब जल्द ही कर्मचारियों का वेतन मिल सकता है।
