Mrs. Chatterjee Vs Norway Real Story : मां से छीन रहे थे उसकी ममता, दिल दहला देगी रील पर ये रियल स्टोरी
मुंबई। भारतीय दंपत्ति की रियल लाइफ़ स्टोरी पर फ़िल्म आ रही है, मिसेज़ चटर्जी वर्सेज नॉर्वे। हाल ही रानी मुखर्जी की फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे' का ट्रेलर रिलीज हुआ, जिसमें रानी मुखर्जी ने हर किसी को हैरान कर दिया। नॉर्वे की सरकार से अपने बच्चों को वापस पाने के लिए रानी मुखर्जी जिस तरह से मिसेज चटर्जी के रोल में रोती-बिलखतीं, तड़पतीं और लड़तीं नजर आईं, उसने हर किसी को झकझोर दिया।
फिल्म के ट्रेलर को देखकर 12 साल पुराने उस दर्दनाक केस की यादें ताजा हो गईं, जब एक भारतीय कपल के बच्चों की कस्टडी नॉर्वे की सरकार ने छीन ली थी। वह भी सिर्फ इस आधार पर कि यह कपल अपने बच्चों की परवरिश नॉर्वे के कायदे-कानून के हिसाब से नहीं कर रहा था। उस कपल को बच्चे वापस पाने के लिए जी-जान से लड़ना पड़ा था। यह फिल्म उसी सच्ची घटना और उसी कपल की लड़ाई पर आधारित है।
अनुरूप भट्टाचार्य और सागरिका भट्टाचार्य नॉर्वे में रहते थे। 2011 में भारतीय अधिकारियों के सामने उन्होंने एक अर्ज़ी दी। अर्ज़ी पढ़कर बहुत से लोग चौंक गए। अर्ज़ी में लिखा गया था, बतौर माता-पिता हम टूट चुके हैं। हमारे सामने कुछ ऐसे हालात आए हैं। मैंने अपने चार महीने का बच्चा और 2 साल का बेटा खो दिया। हमारे लिए ज़िन्दगी बिताना बहुत कठिन हो गया है।
दरअसल मई 2011 में नॉर्वे की चाइल्ड वेल्फेयर सर्विसेज़ ने सागरिका ने अनुरूप और सागरिका पर इल्ज़ाम लगाया कि वो अपने बच्चे (अभिज्ञान और एश्वर्या) का ध्यान रखने में असमर्थ हैं। सरकार ने तय किया कि ये बच्चे 18 साल तक की उम्र तक फ़ॉस्टर केयर में रहेंगे। अनुरूप और सागरिका को अपने बच्चों से मिलने तक नहीं दिया गया। 2007 में जियोफ़िज़िसिस्ट अनुरूप और सागरिका की शादी हुई थी और दोनों नॉर्वे शिफ़्ट हो गए। 2008 में सागरिका ने अभिज्ञान को जन्म दिया। बच्चे में Autism के लक्षण दिखाई देने शुरू हो चुके थे। 2009 में सागरिका अभिज्ञान को लेकर नॉर्वे पहुंची। 2010 आते-आते दंपत्ति ने अपने बेटे को एक किंडरगार्टन में भर्ती करवाया। अभिज्ञान ने यहां बीमारी के कुछ लक्षण दिखने लगे। वो गुस्से में अपना सिर पिटने लगता, कई बार लोगों से आंखें मिलाकर बात नहीं करता। सागरिका तब तक दूसरी बार गर्भवती हो चुकी थी।
नॉर्वे की चाइल्ड प्रोटेक्शन सिस्टम बहुत सख्त है। बच्चे को हल्के से थप्पड़ मारना भी गैरकानूनी है। गौरतलब है कि कई संस्कृतियों और देशों में बच्चों को फ़िज़िकल पनिश्मेंट देना आम बात है। नॉर्वे की CWS टीम को किसी अनजान व्यक्ति से भी टिप मिल जाए तो वो एक्शन लेती है। सरकार मां को 'अनफ़िट' भी घोषित कर सकती है। कुछ ऐसा ही सागरिका के साथ हुआ। नवंबर 2010 में CWS की टीम सागरिका के घर पहुंची लेकिन सागरिका को गर्भवती देखकर लौट गई। अगले महीने सागरिका ने बेटी, ऐश्वर्या को जन्म दिया। अभिज्ञान की बीमारी के लक्षण और ज़्यादा बढ़ गए। सागरिका के लिए दोनों बच्चों को संभालना मुश्किल हो रहा था। जिस किंडरगार्टन में सागरिका अपने दोनों बच्चों को भेजती थी उसने अधिकारियों को अलर्ट भेजना शुरू किया। सागरिका को Marte Meo Counselling लेने को कहा गया।
सागरिका और अनुरूप ने नॉर्वे के अधिकारियों पर संगीन इल्ज़ाम लगाए। सागरिका ने कहा कि महिला अफ़सर अक्सर आती थी और उन्हें बैठकर देखती रहती थी। सागरिका के शब्दों में, उन्होंने कभी भी किसी भी चीज़ की तरफ़ इशारा नहीं किया। वो बस कुछ न कुछ लिखते रहते थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वो एक दिन मेरे दोनों बच्चों को छीन लेंगे। सागरिका ने कहा, हम दोनों ने अपने बेटे कि खातिर काउंसलिंग और ऑब्ज़र्वेशन के लिए सहमति दी थी। लेकिन जब भी मैं होम विज़िट्स की रिशेड्यूलिंग या कैंसलिंग की रिक्वेस्ट करती तो भी वो घर आने की ज़िद्द करते। कई बार मैं बच्चे के सोने पर आराम करना चाहती थी लेकिन वो लोग वहीं बैठे रहते थे। कुछ न कुछ लिखते रहते थे।
11 मई, 2011 को सागरिका ने अपने बेटे को किंडरगार्टन में छोड़ा और मीटींग के लिए घर आई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों गुटों में बहसबाज़ी हो गई। एक केयरवर्कर ऐश्वर्या को घुमाने के बहाने बाहर ले गया। कुछ देर बाद केयरवर्कर्स ने माता-पिता को फ़ोन करके बताया कि दोनों बच्चों को CWS कस्टडी में ले लिया गया है। नवंबर, 2011 में स्थानीय काउंटी कमिटी ऑन सोशल अफ़ेयर्स ने इस केस में अपना निर्णय CWS के पक्ष में सुनाया। अनुरूप और सागरिका को साल में सिर्फ़ तीन बार एक-एक घंटे के लिए अपने बच्चों से मिलने की इजाज़त दी गई।
सागरिका और अनुरूप के रिश्ते में भी खट्टास आने लगी थी। 2012 के शुरुआत में दोनों ने अपनी कहानी सुनाई और भारतीय मीडिया में सनसनी मच गई। दंपत्ति ने कहा कि CWS ने बच्चों के साथ सोना, हाथ से खिलाने पर भी सवाल उठाया है। नॉर्वे के अधिकारियों को शायद भारत की संस्कृति के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी। फरवरी 2012 में ये घोषणा की गई कि बच्चों को उनके अंकल अरुनाभस भट्टाचार्य के पास रखा जाएगा। सागरिका और अनुरूप का रिश्ता टूट चुका था और दोनों के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो चुकी थी। अप्रैल 2012 में भारत सरकार की मदद से दोनों बच्चों को भारत भेजा गया।
सागरिका की लड़ाई अभी बाकी थी। उन्होंने पश्चिम बंगाल की चाइल्ड वेलफेयर कमिटी को बच्चों की कस्टडी के लिए अर्ज़ी भेजी। सागरिका ने अनुरूप और अपने ससुरालवालों पर बच्चों का ढंग से ख्याल न रखने के आरोप लगाए। नवंबर 2012 में सागरिका को साइकोलॉजिकली फ़िट घोषित किया गया। मामला कलकत्ता उच्च न्यायालय तक गया और जनवरी 2013 में हाई कोर्ट ने सागरिका को उसके बच्चे वापस दिलाए। सागरिका अपने बच्चों के साथ नोएडा में रहती हैं। उन्होंने एक IT Firm में नौकरी जॉइन कर ली है। The Journey Of A Mother नाम से सागरिका की एक किताब भी आ चुकी है।
ये भी पढ़ें- Aashiqui 3: कार्तिक आर्यन के साथ आशिकी 3 में काम करेंगी सारा अली खान!
