मजबूत आर्थिक स्थिति 

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
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वैश्विक व्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है। आज अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन काफी स्पष्ट हैं और राष्ट्रों पर उनका प्रभाव भी स्पष्ट है। भारत की भौगोलिक स्थिति और विभाजित दुनिया की तुलना में अपने स्वतंत्र नजरिए की वजह से भारत की मजबूत व्यापक आर्थिक स्थिति में और बढ़ोतरी हुई है और भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है। हालांकि भारतीय नीति निर्माताओं को छोटी और मध्यम अवधि में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

विश्व बैंक ने हाल ही में कहा है कि भारत अन्य उभरते हुए बाज़ारों की तुलना में वैश्विक परिस्थितियों और विशेष नीतियों का सामना करने में सक्षम है। देश में अर्थव्यवस्था, वित्त और भू-राजनीतिक परिदृश्य के स्तर पर कई अवरोध भी हैं। फिर भी, अल्पकालिक और मध्यम-अवधि की समस्याओं के बावजूद, निवेश के लिहाज से स्थितियां अनुकूल हैं। हाल के वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगातार बढ़ा है। आर्थिक मोर्चे पर आगे बढ़ने की संभावनाओं के पार, भारत की भू-रणनीतिक स्थिति के कारण भी वैश्विक पूंजी का प्रवाह बढ़ता जा रहा है। इसका कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव में हुई वृद्धि है। 

जानकारों के मुताबिक भारत 2030 तक जर्मनी और जापान को पछाड़ कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अगले नौ सालों में भारत का सकल घरेलू उत्पाद दोगुना हो जाएगा। ऐसी स्थिति तक पहुंचने से पहले भारत को कई चुनौतियों का सामना करना है। ऐसी ही एक चुनौती भारत में ‘लोकतांत्रिक कोलाहल’ की स्थिति है। 

भारत की अर्थव्यवस्था और रोज़गार का आधार खेती-किसानी की गतिविधियों से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर से जुड़ी गतिविधियों की ओर मुड़ रहा है, शायद यही वजह है कि भविष्य में घरेलू खपत का आधार भी लगातार बढ़ेगा और विस्तारित होगा। भारत में दीर्घकालिक निवेश के लिए बेहतरीन और अपार संभावनों से भरपूर सेक्टरों को देखते हुए, वर्तमान में कुछ उद्योग बड़े सुधारों को इंगित करते हुए पर्याप्त अवसर प्रस्तुत करते हैं। 

जैसे-जैसे भारत में अनाज उत्पादन की सोच बढ़ी है, वैसे ही खाद्य प्रणाली में ऊपर और नीचे तमाम चीजों में निवेश को लेकर संभावनाएं भी बढ़ी हैं, ख़ासतौर पर अन्न भंडारण और एग्रीटेक के क्षेत्र में। कृषि, ऊर्जा और परिवहन समेत बहुत से ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें सुधारों की सख्त जरूरत है जो स्थायी आर्थिक वृद्धि के लिए परिस्थितियों को और मज़बूती प्रदान कर सकें। यह सभी क्षेत्र निजी इक्विटी, वेंचर कैपिटल एवं संस्थागत निवेशकों से लंबी अवधि के लिए निवेश के प्रत्यक्ष अवसरों के अनुरूप हैं।