भाजपाः 'एक देश एक डीएनए' पर कानपुर में सम्मेलन शीघ्र

कानपुर संसदीय क्षेत्र में हैं साढ़े चार लाख मुस्लिम मतदाता

भाजपाः 'एक देश एक डीएनए' पर कानपुर में सम्मेलन शीघ्र

अमृत विचार, कानपुर। हैदराबाद और दिल्ली में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुस्लिमों को पार्टी की ओर आकर्षित करने को लेकर सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला पार्टी को दिया और दूसरी तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 'एक देश, एक डीएनए' की बात कहकर भारतीयता का विचार रखा। वहीं अब इसका असर दिखने लगा है। 'एक देश, एक डीएनए' पर पहला सम्मेलन मुजफ्फरनगर के बाद कानपुर में होगा।

कानपुर संसदीय क्षेत्र में करीब साढ़े चार लाख से भी अधिक मुस्लिम मतदाता है। निकाय चुनाव में मुस्लिम वार्डों में पार्टी मुस्लिम प्रत्याशी लड़ाने का निर्णय ले चुकी है। मई के महीने में प्रस्तावित है। राजनीतिक क्षेत्रों में इसे भाजपा की 2024 की चुनावी तैयारी के रूप में देखा रहा है। पूरा फोकस यूपी की सभी 80 सीटें जीतने पर है। 
 
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री अनस उस्मानी कहते हैं कि भाजपा हिंदू मुस्लिम की बात नहीं करती। विपक्ष भाजपा पर निशाना साधने के लिए ऐसी बातें उड़ाते हैं। वह कहते हैं कि एक देश एक डीएनए पर पहला सम्मेलन मुजफ्फरनगर में तो दूसरा कानपुर में कराने की कोशिश जारी है। बड़े नेताओं से समय तय होते ही तारीख भी घोषित कर दी जाएगी। मोर्चा अध्यक्ष कुँअर बासित अली के नेतृत्व में योजना बनी है। सम्मेलनों को जिलास्तर पर कराने की योजना है। संदेश देना है कि भाजपा हितैषी पार्टी है।
 
अनस कहते हैं कि राज्य व केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर वर्ग को मिल रहा है। पसमांदा मुस्लिम भी उतना ही लाभ लेते हैं जितना दूसरे वर्ग के लोग। फिर भेदभाव कहां हैं। मुसलमान को मुख्य धारा में लाने का काम काफी संजीदगी से किया जा रहा है। उनका कहना है कि देश में रहने वाले सबसे पहले सब भारतीय हैं। हमारी मजबूती खुशहाली तभी है जब देश की एकता, अखंडता और समृद्धता मजबूत होगी। साथ ही देश-प्रदेश को जोड़ने के लिए एक देश, एक डीएन सम्मेलन का फॉर्मूला अपनाया है। 
अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास पश्चिम यूपी से शुरू करने के पीछे वहां की मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटें हैं। 2014 में भाजपा ने पश्चिमी यूपी की सभी 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 में बसपृसपा के गठबंधन ने छह सीटें जीतकर नुकसान किया। बसपा के खाते में नगीना, अमरोहा, बिजनौर और सहारनपुर सीट गई। वहीं सपा ने मुरादाबाद और संभल सीटों पर जीत हासिल की। एक डीएनए एक देश जैसे सम्मेलन आयोजित करके अल्पसंख्यकों मुख्यधारा में लाने की चेष्टा की जाएगी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी सहित पश्चिम यूपी के बड़े नेता इसकी तैयारी में हैं। पश्चिमी यूपी के लोकसभा क्षेत्रों में ढाई से तीन लाख तो हर क्षेत्र में अल्पसंख्यक हैं। कानपुर में साढे चार लाख मुस्लिम मतदाता हैं। पार्टी को 2019 में छह सीटें गंवानी पड़ गयी थी। इसलिए शुरुआत मुजफ्फर नगर से की जा रही है। इसके बाद कानपुर में यह सम्मेलन होगा।ऐसी कोशिश जारी है।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के मंत्री कानपुर निवासी अनस बताते हैं कि एक देश एक डीएनए में हिंदू मुस्लिम सभी मंच पर होंगे। कहीं कोई अलगाव नहीं दिखेगा। अल्पसंख्यकों को बीजेपी से जोड़ने के लिए बड़े स्तर पर तैयारी की है। बीजेपी ने राष्ट्रीय स्तर पर 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में लगभग 60 लोकसभा क्षेत्रों की पहचान की है, जहां धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है। अल्पसंख्यकों पर बड़ा प्रभाव डालने के लिए दिल्ली में एक सार्वजनिक रैली भी होगी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। पार्टी की सूची में यूपी की सीटों में बिजनौर (38.33 प्रतिशत), अमरोहा (37.5 प्रतिशत), कैराना (38.53 प्रतिशत), नगीना (42 प्रतिशत), संभल (46 प्रतिशत), मुजफ्फरनगर (37 प्रतिशत) और रामपुर (49.14 प्रतिशत) पर खास नजर है।

उल्लेखनीय है कि पिछली राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंभी नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वे पसमांदा, बोहरा, मुस्लिम प्रोफेशनल और शिक्षित मुसलमानों तक पहुंच बनाएं। वोट की उम्मीद किए बिना उनका विश्वास जीतने का प्रयास करें। साथ ही वंचित, पिछड़े, दलित और आदिवासी मुसलमानों तक पहुंच बढ़ाने का संदेश दिया गया था। यूपी में कुल मुसलमानों में पसमांदा मुस्लिम की आबादी का लगभग 80-85 फीसदी बताई जाती है।

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