सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों को विपक्ष के खिलाफ बनाया हथियार: माकपा

सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों को विपक्ष के खिलाफ बनाया हथियार: माकपा

नई दिल्ली। विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाइयों के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने आरोप लगाया है कि सरकार ने गैर-भाजपा दलों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों को हथियार बना लिया है।

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पार्टी के मुखपत्र ‘‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’’ के ताजा संपादकीय में पिछले कुछ दिनों में सीबीआई और ईडी द्वारा विपक्षी नेताओं के खिलाफ चलाए गए अभियानों का जिक्र किया गया है। संपादकीय में सीबीआई द्वारा जांच रिपोर्ट दाखिल करने के तरीके को रेखांकित किया गया और दावा किया गया कि सीबीआई जांच रिपोर्ट दायर करती है और इस आधार पर ईडी धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) लगाती है जो कि एक कार्यप्रणाली (मोडस ऑपरेंडी) बन गई है।

संपादकीय में कहा गया, ‘‘पीएमएलए के प्रावधान कठोर हैं और ईडी को गिरफ्तार करने, तलाशी लेने और संपत्ति जब्त करने तथा लोगों को जेल में डालने का व्यापक अधिकार देते हैं क्योंकि उन्हें जमानत मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है।’’ उसने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों, खासकर ईडी को हथियार बना दिया है। ईडी और सीबीआई का औजार के रूप में इस्तेमाल राजनीति से प्रेरित है।’’

इसमें आगे कहा गया है कि एजेंसियों की कार्रवाई ने ‘‘दोहरे उद्देश्य’’ की पूर्ति की है। संपादकीय में कहा गया, ‘‘एक तरफ इसका इस्तेमाल विपक्षी दलों को दबाने के लिए किया जाता है और उनके प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जाता है, जिन्हें बिना किसी मुकदमे या दोषसिद्धि के लंबे समय तक जेल में रखा जाता है।’’ माकपा के मुखपत्र में कहा गया है, ‘‘दूसरा उद्देश्य विपक्षी दलों को तोड़ना है।

सीबीआई/ईडी की कार्रवाई का भय दिखाकर चुनिंदा नेताओं को अपने पाले में किया जाता है।’’ संपादकीय में यह भी आरोप लगाया गया है कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता के खिलाफ कार्रवाई इस साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर हुई है। इसमें कहा गया, ‘‘भाजपा राज्य में सफलता हासिल करने के लिए ठोस प्रयास कर रही है।

दिल्ली में शराब घोटाले में संलिप्तता को लेकर बीआरएस नेता और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता को ईडी का समन इस बात का संकेत है कि भाजपा का लक्ष्य अपने चुनावी उद्देश्यों के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करना है।’’

संपादकीय में यह भी दावा किया गया है कि नेताओं के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज सभी मामलों में से 95 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं और निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ हैं। इसमें कहा गया कि यह पता लगाया जाना बाकी है कि क्या शेष पांच प्रतिशत मामलों को कभी लगन से आगे बढ़ाया गया, या नहीं ? 

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