बरेली: ख्याल रखें... समय से पहले बड़ी हो रही हैं बेटियां

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

औसत से कम उम्र में पीरियड शुरू होने के केस बढ़े, अनियमित पीरियड्स से भी दिक्कत झेल रही हैं किशोरियां

बरेली, अमृत विचार : किशोरियों में पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। सबसे ज्यादा केस अपेक्षाकृत कम उम्र पीरियड शुरू होने के आ रहे हैं। दूसरी समस्या अनियमित पीरियड्स की है। इसका असर बेटियों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ रहा है, लिहाजा मांओं के लिए ऐसे मामले सिरदर्द बने हुए हैं। जिला महिला अस्पताल के अर्श क्लिनिक पर रोज 10 से 12 बेटियाें की काउंसिलिंग की जा रही है। इस महीने अब तक करीब दो सौ बेटियों की यहां काउंसिलिंग की जा चुकी है।

ये भी पढ़ें - बरेली : पति फहद संग ससुराल पहुंचीं एक्ट्रेस स्वरा भास्कर, हुआ जोरदार स्वागत 

डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों से बड़ों तक जिंदगी जीने का ढंग बदल रहा है, इसी वजह से उनमें शारीरिक और मानसिक बदलाव भी हो रहे हैं। किशोरियों और बच्चियों पर इसका ज्यादा असर पड़ रहा है। अर्श क्लिनिक की काउंसलर कल्पना सक्सेना का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से क्लिनिक पर बेटियों के साथ इसी तरह की समस्याएं लेकर आने वाले अभिभावकों की संख्या बढ़ी है।

इनमें काफी संख्या ऐसी बच्चियों की है जिन्हें 10 साल या उससे भी कम उम्र में पीरियड शुरू हो गए हैं। इसका असर उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ रहा है। अब तक पीरियड शुरू होने की उम्र 13 से 16 साल मानी जाती थी लेकिन अब 10 साल से भी कम उम्र में पीरियड शुरू होना आम हो गया है।

इसके अलावा किशोरियों के पीरियड का समय बदलने की भी काफी शिकायतें हैं। कभी समय से पहले पीरियड शुरू हो जाता है तो कभी दो-दो महीने पीरियड नहीं आता। इससे भी किशोरियों की शारीरिक-मानसिक सेहत पर असर पड़ता है। ऐसे बच्चों की काउंसिलिंग के साथ उन्हें जरूरी परामर्श भी दिया जा रहा है।

सेहत के लिए खतरे की घंटी है जल्दी पीरियड शुरू हो जाना: डॉक्टरों के मुताबिक जल्दी पीरियड शुरू होना या ज्यादा ब्लीडिंग होना बच्चियों की सेहत के लिए भी ठीक नहीं है। वे रक्ताल्पता यानी एनीमिया की शिकार हो सकती हैं। अगर पहले से एनिमिक हैं तो उन पर और ज्यादा गंभीर असर पड़ सकता है।

एनिमिया उनमें दूसरे गंभीर रोगों का भी खतरा पैदा कर सकता है, इनमें डायबिटीज प्रमुख है। इसके अलावा, उनकी मानसिक सेहत पर भी इससे असर पड़ सकता है और वे तनाव की शिकार हो सकती हैं।

व्यायाम-खेलकूद की कमी से प्रभावित होते हैं हार्मोंस, तनाव भी जिम्मेदार: स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मृदुला शर्मा के अनुसार किशोरियों में पीरियड्स संबंधी अनिमितता का सबसे बड़ा कारण उनकी दिनचर्या का ठीक न होना है। खेलकूद और दौड़भाग बच्चों के जीवन में कम हुए हैं, स्कूल में पढ़ाई के अलावा ज्यादातर की दिनचर्या काफी सुस्ती के साथ गुजरती है।

इसी वजह से उनमें हार्मोंस प्रभावित होते हैं। व्यायाम न करना, समय पर न खाना न सोना भी इन्हीं कारणों में शामिल हैं। ज्यादा तनाव होना और नींद न आना भी पीरियड देरी से आने का कारण हो सकता है।

ये भी पढ़ें - बरेली : नाबालिग लड़की को भगा ले गया पिता का मौसेरा भाई, पुलिस ने लड़की को किया बरामद, आरोपी को भेजा जेल

संबंधित समाचार