PMFBY: बिना कंपनी कैसे बीमित होंगी खरीफ की फसलें, मार्च तक बीमा कंपनियों का टेंडर, अप्रैल से होगी बोआई
तीन वर्ष के लिए चार बीमा कंपनियों को मिला टेंडर होगा खत्म, नए सत्र की नहीं शुरू हुई प्रक्रिया, जोखिम पर होगी फसलें
प्रशांत सक्सेना, लखनऊ/ अमृत विचार। प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का कंपनियों को दिया गया टेंडर 31 मार्च को खत्म हो जाएगा और अप्रैल से खरीफ फसलों की बोआई शुरू हो जाएगी। लेकिन, आगे की गाइडलाइन अब तक जारी नहीं हुई है। ऐसे में किसान बोआई तो करेंगे, लेकिन फसलें बीमित नहीं हो पाएंगी। इधर, मौसम का रुख देखकर किसान भी असमंजस में हैं और फसल बीमा की तरफ आकर्षित हुए हैं।
क्योंकि राजस्व विभाग 33 प्रतशित से अधिक नुकसान होने पर क्लेम देता है, जबकि बीमा कंपनी नुकसान के आधार पर क्षतिपूर्ति करती हैं, जिसमें कम से कम लागत निकल आती है। नए सत्र में यदि आपदा से नुकसान होगा तो किसान क्षतिपूर्ति के लिए बिना बीमा दावा तक नहीं कर पाएंगे। जबकि देर-सबेर टेंडर होने के बाद कंपनियां किसानों से प्रीमियम पूरे सत्र का वसूल करेंगी।
मार्च तक हो जाती है टेंडर की प्रक्रिया
बीमा कंपनियों को टेंडर मार्च तक आवंटित कर दिए जाते हैं। जो बैंकों के माध्यम से केसीसी खाताधारकों का अप्रैल से जुलाई अंत तक खरीफ फसलों का प्रीमियम काटकर बीमा करती हैं। और गैरऋणी किसान स्वयं से बीमा कराते हैं। लेकिन इस बार आगे के टेंडर की कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। इस प्रक्रिया में दो माह लगते हैं। इस बीच फसलें बीमित नहीं हो पाएंगी।
तीन साल का हुआ था टेंडर
वैसे बीमा कंपनियों को टेंडर एक-एक वर्ष के दिए जाते हैं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में चार कंपनियों को तीन साल के लिए टेंडर दिया गया था, जो 31 मार्च को खत्म हो जाएगा। कंपनियों को मंडल और उनमें आने वाले जिले आवंटित किए गए थे।
ये नामित हुईं थी बीमा कंपनियां
- यूनिवर्सल सोमपो
- एचडीएफसी
- एग्री कल्चर इंश्योरेंस
- इफ्को टोकियो
इस तरह लिया प्रीमियम और दिया क्लेम
वर्ष बीमित किसान लाभान्वित किसान क्लेम
2016-17 72.88 11.87 57254
2017-18 54.24 5.93 37889.93
2018-19 61.40 6.10 45605.33
2019-20 47.31 9.78 109938.52
2020-21 41.97 6.26 49942.39
2021-22 खरीफ 21.57 7.95 756.25
2021-22 रबी 19.9 2.17 182.34
2022-23 खरीफ 21.35 2.18 134.32 (अभी और देय)
2022-23 रबी 19.5 देय नहीं
(संख्या और क्लेम लाख में)
फसल बीमा योजना की गाइडलाइन केंद्र से आती है। जो जारी होते ही प्रक्रिया शुरू कर देंगे। किसी तरह का नुकसान होगा तो किसानों को नियमानुसार लाभान्वित किया जाता है। शिकायत दर्ज की जाएंगी ...सुमिता सिंह, निदेशक सांख्यिकी एवं फसल बीमा, कृषि निदेशालय उप्र।
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