बरेली: नकली किताबें छापने वालों की तलाश में मेरठ रवाना हुईं दो टीमें, किराए पर फैक्ट्री देने वाला गिरफ्तार

बरेली: नकली किताबें छापने वालों की तलाश में मेरठ रवाना हुईं दो टीमें, किराए पर फैक्ट्री देने वाला गिरफ्तार

बरेली, अमृत विचार। भोजीपुरा औद्योगिक आस्थान की फैक्ट्री में एनसीईआरटी की नकली किताबें छापने के आरोपियों के नाम पता चलने के बाद उनकी गिरफ्तारी के लिए दो पुलिस टीमें मेरठ भेज दी गई हैं। उधर, जीएसटी के स्थानीय अफसरों ने भी सोमवार को जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मेरठ के अधिकारियों को भेज दी है। जल्द मेरठ से जीएसटी टीम के जांच के लिए बरेली आने की संभावना जताई जा रही है। उधर, पुलिस ने साफ किया है कि नफीस ने पहले इस गोरखधंधे में मेरठ के एक विधायक के पीए का हाथ बताया था लेकिन छानबीन में पता चला है कि वह विधायक नहीं बल्कि पूर्व विधायक का पीए था। यह पूर्व विधायक भाजपा से जुड़ा बताया जा रहा है।

पुलिस ने मंगलवार को कर्मचारी नगर के राजीव गुप्ता नाम के उस शख्स को गिरफ्तार कर लिया जिसको भोजीपुरा औद्योगिक आस्थान में प्लॉट आवंटित हुआ था जिसके बाद उसने उसे नकली किताबें छापने वाले लोगों को किराए पर दे रखा था। एसपी देहात राजकुमार अग्रवाल के अनुसार राजीव गुप्ता के और फैक्ट्री चला रहे मास्टरमाइंड का पार्टनर हाेने की बात भी पता चली है। इसकी जांच की जा रही है। मास्टरमाइंड के तौर पर अवनीश मित्तल और कई और आरोपियों की पहले ही पहचान हो चुकी है। इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की दो टीमें मेरठ भेजी गई हैं। आरोपी नफीस को पूछताछ के बाद मंगलवार को जेल भेज दिया गया। पुलिस के मुताबिक उससे पूछताछ में कई तथ्यों का पता लगा है। इन पर आगे जांच की जा रही है।

एसपी देहात ने बताया कि इस मामले में कुछ और लोगों के भी नाम शामिल किए जा सकते हैं। पुलिस की अब तक की छानबीन में यह भी पता चला है कि फैक्ट्री में रोज 50 से 60 हजार किताबें छापी जा रही थीं। नकली किताबें यूपी और उत्तराखंड के अलावा कई दूसरे राज्यों में भी भेजी जाती थीं। फैक्ट्री में हर दूसरे-तीसरे दिन ट्रक लोड होता था। उधर, जीएसटी के डिप्टी कमिश्रर राजीव पांडेय ने बताया कि जांच के दौरान फैक्ट्री में बड़े पैमाने पर में किताबें मिली हैं। चूंकि किताबें कर मुक्त हैं लिहाजा रिपोर्ट तैयार कर मेरठ के विभागीय अधिकारियों को भेज दी गई है। वहां की टीम जल्द जांच के लिए बरेली आ सकती है।

कब जाएंगी किताबें, कर्मचारियों को नहीं चलता था पता
बताया जा रहा है कि नकली किताबें छापने वाला इतना शातिर है कि फैक्ट्री कर्मियों को भी इसकी भनक नहीं लगती थी कि किताबें कहां जा रही हैं जबकि हर दूसरे-तीसरे दिन ट्रक लोड होकर निकलते थे। अवनीश सिर्फ फैक्ट्री मैनेजर नफीस से बात करता था। वह भी तब जब ट्रक फैक्ट्री के बाहर पहुंचता था। तभी वह फोन कर उसे लोड कराने को कहता था। फैक्ट्री में अब भी करोड़ों का कच्चा माल मौजूद है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े पैमाने पर यह धंधा किया जा रहा था।

नकली किताबों का मेरठ कनेक्शन सामने आने के बाद पुलिस की दो टीमें भेजी गई हैं जो इस केस के आरोपी लोगों की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही है। नफीस से पूछताछ में कई क्लू मिले हैं, जिनके आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी-राजकुमार अग्रवाल, एसपी देहात।

मेरठ में दो बार छापे पड़ने के बाद भोजीपुरा में शुरू की नकली किताबें छापने की फैक्ट्री
अगस्त, 2022 में मेरठ की सूर्यापुरम कॉलोनी में भी बड़े पैमाने पर एनसीईआरटी की नकली किताबें पकड़ी गई थीं। प्रिंटिंग और बाइंडिंग का काम एक मकान में चल रहा था। पुलिस ने बाइंडिंग कराने वाले अभिलाष, प्रिंटिंग कराने वाले सतेंद्र और बाजार में किताबों की सप्लाई करने वाले आदिल और महाराज से पूछताछ की थी। इसके बाद दो साल पहले परतापुर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में पुलिस, एसओजी और एसटीएफ ने छापा मारकर भाजपा नेता के यहां से भारी संख्या में एनसीईआरटी की नकली किताबें पकड़ीं। इसके बावजूद भाजपा नेता पर कार्रवाई नहीं हुई। बताया जा रहा है कि इसी के बाद उसने मेरठ में नकली किताबों की प्रिंटिंग बंद कराकर बरेली के भोजीपुरा में ठिकाना बना लिया।

बच्चों की सेहत खराब कर सकता है नकली किताब से पढ़ना
सीबीएसई के जिला समन्यवक वीपी मिश्रा के मुताबिक नकली किताबों में खराब गुणवत्ता का कागज और स्याही का प्रयोग होता है, जो बच्चों के शरीर में जाकर जहर की तरह घुल जाता है। बच्चे जब पढ़ाई करते हैं तो पन्ना पलटने के दौरान कागज से छूटे खराब रसायन उनके मुंह में भी चले जाते हैं। नकली किताबों का धंधा करने वाले दुकानदार इस तरह बच्चों की सेहत से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 80 रुपये की किताब की करीब 20 रुपये में नकली प्रति तैयार हो जाती है।

असली-नकली किताबों की पहचान क्यूआर कोड से करें
विशेषज्ञों के मुताबिक नकली किताबों से पढ़ना ठीक नहीं है, लिहाजा उनकी पहचान का तरीका भी पता होना चाहिए। उन्होंने बताया कि अभिभावक क्यूआर कोड स्कैन कर असली और नकली किताब की पहचान कर सकते है। वीपी मिश्रा ने बताया कि एनसीईआरटी की किताबों की पहचान उसके हर पेज पर वाटरमार्क होता है। यदि वाटर मार्क न मिले तो शिकायत करनी चाहिए।

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