हल्द्वानीः कुमाऊं में खंगाले जा रहे फरार अमृतपाल के कनेक्शन, आईजी बोले- स्पष्ट नहीं, अमृतपाल ने प्रयोग की कार

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Published By Shobhit Singh
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सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। वारिस पंजाब दे का चीफ खालिस्तान समर्थक अमृतपाल 18 मार्च से कई राज्यों की पुलिस को चकमा दे रहा है, वो नेपाल भागना चाहता था और इसके लिए उसने पहली कोशिश उत्तराखंड में की, लेकिन नाकामयाब रहा। उसने उत्तर प्रदेश से भी नेपाल का रास्ता खोजने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस की सख्ती ने उसके कदम रोक लिये। पंजाब से उत्तर प्रदेश तक कई राज्यों की सीमा लांघने वाला अमृतपाल फिर उन्हीं राज्यों की सीमा पार कर पंजाब पहुंच गया है। जहां ताबड़तोड़ दबिशें दी जा रही हैं। 
 
बता दें कि  28 मार्च से 30 मार्च के बीच नैनीताल के रामनगर में जी-20 समिट आयोजित की गई थी और अमृतपाल के समर्थन में समिट में खलल डालने का ऐलान किया गया था। इसी बीच खबर आई कि अमृतपाल नेपाल भागने की फिराक में है और पंजाब से निकलकर वो उत्तराखंड पहुंच चुका है। खुफिया अलर्ट पर पुलिस चौकस हुई और नेपाल बॉर्डर पर अमृतपाल की तस्वीर चस्पा कर दी गई। सख्ती बढ़ी तो अमृतपाल उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के बड़ेपुरा (अमरिया) पहुंच गया, लेकिन यहां से भी नेपाल भागने का रास्ता नहीं मिला। 

बॉर्डर पर सख्ती हुई तो अमृतपाल ने पंजाब में लौटना ही बेहतर समझा। अमृतपाल बड़ेपुरा (अमरिया) स्थित गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी बाबा मोहन सिंह के नाम पर पंजीकृत स्कॉर्पियो से वापस पंजाब पहुंच गया। पुलिस की पूछताछ में ग्रंथी बाबा मोहन सिंह ने बताया कि गाड़ी को पिछले चार माह से पूरनपुर के मोहनापुर गुरुद्वारे के सेवादार जोगा सिंह इस्तेमाल कर रहे थे। कुछ दिन पहले ही जोगा सिंह पंजाब जाने की बात कहकर गया था। बहरहाल, जोगा सिंह और उनका चालक गुरवंत सिंह पंजाब पुलिस की हिरासत में हैं। 

सूत्रों के मुताबिक जोगा 2 हफ्ते पहले अमृतपाल के साथ भागा था, तब अमृतपाल ने उसे अपना मोबाइल दे दिया और उसे लेकर भागने को कहा ताकि पुलिस को मोबाइल लोकेशन की वजह से गुमराह किया जा सके। इसका सीसीटीवी भी सामने आया है।

स्कॉर्पियो छोड़कर इनोवा कार से भागा अमृतपाल

खबर है कि अमृतपाल सबसे पहले उत्तराखंड की स्कॉर्पियो कार से पंजाब आया। यहां इनोवा कार में बैठा, लेकिन पुलिस से पकड़े जाने से पहले उसने एक और कार बदल ली। पुलिस अमृतपाल के मामले में पूरी तरह से क्लू-लेस हो चुकी है। अमृतपाल की तलाश में पाकिस्तान से सटे पठानकोट में हाई अलर्ट कर दिया गया है।

अमृतपाल बोला, नहीं भागूंगा विदेश, गिरफ्तारी से नहीं डरता

भगोड़े अमृतपाल सिंह ने पंजाब पुलिस को खुला चैलेंज दिया है। खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह ने गुरुवार (30 मार्च) को कहा कि मैं लोगों के बीच आऊंगा। मैं गिरफ्तारी से नहीं डरता, मैं विदेश भागने वाला नहीं हूं, मैंने अपने केश कत्ल नहीं कराए। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार वहीर (धार्मिक जागरूकता यात्रा) निकाले और यह वहीर अकाल तख्त साहिब यानी अमृतसर से शुरू होकर बैसाखी पर तख्त दमदमा साहिब तलवंडी साबो में खत्म हो। 

वहां बैसाखी पर सरबत खालसा बुलाया जाए। मैं गिरफ्तार होने से नहीं डरता, लेकिन बगावत के रास्ते पर इस तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। इससे पहले अमृतपाल का गुरुवार की दोपहर को एक कथित ऑडियो क्लिप भी सामने आया था। इसमें वह अपने आत्मसमर्पण पर बातचीत करने की अटकलों को खारिज करते सुना गया था और उसने अकाल तख्त से 'सरबत खालसा' बुलाने के लिए फिर से कहा। 

उत्तराखंड से जुड़ी हैं 270 किमी की सीमा

उत्तराखंड की 270 किमी की खुली सीमा नेपाल से लगी हैं, जिसमें टनकपुर से उधमसिंहनगर तक 35 किमी लंबी सीमा पर कई ऐसे चोर रास्ते हैं जो जंगल से घिरे हैं और वहां 24 घंटे सुरक्षा एजेंसियों की नजर नहीं रह पाती। हालांकि, सीमा पर तैनात एसएसबी समय-समय पर कॉबिंग और पेट्रोलिंग कर इन चोर रास्तों में निगरानी करती है।

नेपाल भागने को इन रास्तों का होता है इस्तेमाल 

शातिर नेपाल भागने के लिए पांगला, ग्सकु, घटयाबगड़, एलागाड, तपोवन, खोतीला, जौलजीबी, गीठिगड़ा, तालेस्वर, डोड़ा, कानडी, उमरागैर, बलतड़ी, तडीगांव, खल्ला, निगालपानी और छारछुम जैसे चोर रास्तों का इस्तेमाल करते हैं। 

ये हैं भारत से लगे नेपाली गांव

छांगरु, तिंकर, दुमलिंग, हूती, सुनसेना, राबला, काठ, दार्चुला, खल्ला। 

उधर, कुमाऊं के आईजी डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि पीलीभीत से जिस गाड़ी में सवार होकर अमृतपाल के भागने की बात सामने आ रही है वो पीलीभीत के ग्रंथी की है और उत्तराखंड में रजिस्टर्ड है। इस मामले में टीम ने ग्रंथी से पूछताछ की है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उक्त गाड़ी का इस्तेमाल अमृतपाल ने किया है। 

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