BJP Foundation Day : कानपुर ने दिया था यूपी में भाजपा की मजबूती का आधार

Amrit Vichar Network
Published By Jagat Mishra
On

अटल, आडवाणी की रैलियों, कार्यकर्ताओं के जोश ने लिखी पार्टी की पटकथा

महेश शर्मा/ कानपुर, अमृत विचार। आरएसएस का प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी का इतिहास दर असल उसके नाम और चिह्न से भी पुराना है। पार्टी का स्थापना दिवस 6 अप्रैल को है। जनता पार्टी टूटने के बाद भारतीय जनसंघ नये परिवेश भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के रूप में सामने आई। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या से उत्पन्न सहानुभूति लहर ने कांग्रेस को लोकसभा सीटों से मालामाल कर दिया था तब मात्र दो सीटें लेकर लोकसभा में बैठी भाजपा को लेकर किसी ने सोचा भी न होगा कि यही पार्टी 303 सीटों पर जीत हासिल करेगी। पार्टी की इस स्पीड में कानपुर का योगदान नहीं भुलाया जा सकता। आरएसएस की प्लानिंग ने कानपुर में भाजपा को खड़ा करने में महती भूमिका निभायी। दीपक से कमल चुनाव चिन्ह तक भाजपा का राजनीतिक बहुत संघर्षपूर्ण रहा।

16 - 2023-04-06T121339.237

भाजपा कानपुर के पूर्व अध्यक्ष डा.श्यामबाबू गुप्ता बताते हैं कि घटक दलों के अलग होने के दौर में 1980 के चुनाव में पार्टी के लोग कानपुर संसदीय क्षेत्र से जनता पार्टी के प्रत्याशी मकबूल हुसैन कुरैशी के समर्थन में थे। औपचारिक रूप से अलगाव के बाद 1984 में यहीं से पार्टी ने डॉ सोमनाथ शुक्ला को प्रत्याशी बनाया। उनके कांग्रेस से दादा नरेशचंद्र चतुर्वेदी और जनता पार्टी के सैय्यद शहाबुद्दीन मैदान में थे। शहाबुद्दीन के लिए मुस्लिम वोटर दीवाना था। जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ। तब सीट बचाने के लिए आरएसएस ने समर्थकों के वोट कांग्रेस के खाते में डलवाए। नतीजतन कांग्रेस जीत गयी। भाजपा नेतृत्व चाहता था कि किसी भी कीमत पर शहाबुद्दीन न जीतने पाए। पार्टी के पहले चुनाव में उसका अपना प्रत्याशी बहुत कमजोर था। 

17 - 2023-04-06T121514.394

दूसरे चुनाव में पार्टी ने कैप्टन जगतवीर सिंह द्रोण को उतारा। जनता दल के समर्थन से माकपा प्रत्याशी सुभाषिनी अली सहगल जीत गयीं। हां, बालचंद्र मिश्रा गोविंदनगर से भाजपा विधायक बनें। तब राष्ट्रीय मोर्चा और वाम मोर्चा के समर्थन से वीपी सिंह की सरकार बनीं। मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने पर भाजपा नीत राष्ट्रीय मोर्चा ने समर्थन वापस ले लिया। भाजपा ने यहीं से कमंडल का रास्ता पकड़ा और एलके आडवाणी की रथयात्रा से ग्राफ बढ़ा। मध्यावधि चुनाव में 1991 में कैप्टन जगतवीर द्रोण जीते वह तीन बार लगातार जीते। भाजपा को कानपुर में खड़ा करने में सत्यदेव पचौरी, गोपाल अवस्थी, डा.श्याम बाबू गुप्ता, गणेश अवस्थी (बाद में वह सपा में चले गए थे), प्रेमशंकर दीक्षित, देवराज सिंह, डा.जेएन गुप्ता, रेवतीरमण रस्तोगी, सतीश महाना, नीरज चतुर्वेदी नीरज दीक्षित, हरीश मतरेगा. रवींद्र पाटनी युवा नेता, प्रेमलता कटियार, पूनम कपूर, सीमा तिवारी महिला नेताओं का योगदान रहा।

पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल अवस्थी कहते हैं कि भाजपा ट्विटर हैंडलों, यूट्यूब चैनलों या सोशल मीडिया के किसी प्लेटफार्म से नहीं पैदा हुई है। इसका बढ़ता ग्राफ कार्यकर्ताओं के जमीनी संघर्ष का नतीजा है। यह जिक्र खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं। गोपाल जी बताते हैं कि प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनने के पीछे कार्यकर्ताओं का खून पसीना है। संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर नेहरू से गहरे मतभेद होने के कारण उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर जनसंघ की स्थापना की, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी बनी। गोपाल अवस्थी कहते हैं कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सामाजिक कार्यकर्ता दीनदयाल उपाध्याय की जोड़ी ने इस पार्टी की बुनियाद खड़ी की, तो अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने पार्टी की पहुंच को देशभर में विस्तार देने का काम किया और आज के समय में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने भाजपा पार्टी को भारतीय राजनीति का सबसे मजबूत स्तंभ बना दिया है। 

19 - 2023-04-06T121626.041

पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश शर्मा का कहना है कि जमीन इतनी मजबूत हो चुकी है कि विपक्ष के लिए कानपुर में भाजपा को पराजित करना आज के विपक्ष के लिए मुश्किल ही नामुमकिन भी है। वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व प्रत्याशी हरीश मतरेजा का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन की आवाज बुलंद की।

ये भी पढ़ें - UP News : BJP का स्थापना दिवस आज, लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय में CM योगी ने फहराया झंडा

संबंधित समाचार