बदायूं: जामा मस्जिद प्रकरण- संशोधन प्रार्थना पत्र पर सुनवाई होगी 18 अप्रैल को
सिविल बार एसोसिएशन की हड़ताल के चलते वकीलों ने नहीं किया न्यायिक कार्य
बदायूं,अमृत विचार: शहर में स्थित जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर के मामले में संशोधन प्रार्थना पत्र पर सुनवाई अब 18 अप्रैल को होगी। बुधवार को सिविल बार एसोसिएशन की हड़ताल के चलते उससे जुड़े अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य नहीं किया।
शहर की जामा मस्जिद की जगह नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पटेल की ओर से अदालत में याचिका दायर की गई है। पिछली तारीखों पर सवाल उठते रहे कि वादी की ओर से याचिका क्यों दायर की गई। वादी पक्ष ने इसका कारण बताते हुए संशोधन आवेदन पत्र कोर्ट में दाखिल किया।
उधर, बौद्ध धर्म के अनुयायियों की ओर से जामा मस्जिद की जगह बौद्ध किला होने का दावा करते हुए आवेदन पत्र दिया गया है। इस मामले में शासन की ओर से जिला प्रशासन, जामा मस्जिद इंतजामियां कमेटी, सुन्नी सेंट्राल बोर्ड लखनऊ की तरफ से आपत्ति दायर कर याचिका खारिज करने की मांग की गई है।
सिविल जज सीनियर डिवीजन ने पांच अप्रैल को आदेश जारी किया था कि पहले वादी पक्ष की ओर से दिए गए संशोधन आवेदन पत्र पर सुनवाई की जाएगी। इसके बाद याचिका पोषणीय है या नहीं इस पर सुनवाई होगी। संशोधन आवेदन पत्र पर सुनवाई के लिए बुधवार 12 अप्रैल नियत की गई थी।
कानपुर में एक न्यायिक अधिकारी के खिलाफ अधिवक्ताओं की हड़ताल चल रही है, जिसका सिविल बार एसोसिएशन ने समर्थन किया। इसी के चलते बुधवार को सिविल बार एसोसिएशन के अधिवक्ता हड़ताल पर रहे। हड़ताल की वजह से कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 18 अप्रैल नियत की है।
कल भी हड़ताल पर रहेंगे सिविल बार के अधिवक्ता: कानपुर में चल रही अधिवक्ताओं की हड़ताल को लेकर गुरुवार को यहां सिविल बार एसोसिएशन की बैठक हुई। इसमें सिविल बार के सचिव अरविंद पाराशरी ने कहा कि कानपुर के अधिवक्ताओं की लड़ाई जायज है।
इसलिए सिविल बार एसोसिएशन इसका समर्थन करती है। इस पर अन्य पादाधिकारियों व सदस्यों ने सहमति जताई। बैठक में गुरुवार को भी हड़ताल पर रहने का निर्णय लिया गया। हड़ताल के चलते सिविल बार के पदाधिकारी और सदस्य गुरुवार को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे।
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