न्याय प्रणाली को गति देने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जरूरत: PM मोदी

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि दूरदराज के इलाकों, विशेषकर पूर्वोत्तर, में न्याय प्रदान करने की प्रणाली को गति देने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जरूरत है। मोदी ने यह भी कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली न्याय प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

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गुवाहाटी उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह के समापन समारोह में मोदी ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी पूर्वोत्तर जैसे दूरदराज के इलाकों में न्याय प्रदान करने में मदद कर सकती है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार हर संभावित क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने इस कड़ी में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी), आधार और डिजिटल इंडिया मिशन का उल्लेख करते हुए कहा कि ये गरीबों को उनके अधिकार दिलाने का बहुत बड़ा माध्यम बने हुए हैं। संपत्ति के स्वामित्व में स्पष्टता की कमी के चलते होने वाले विवादों के कारण न्यायपालिका पर पड़े बोझ का संकेत देते हुए, उन्होंने एक उदाहरण दिया कि कैसे ड्रोन का उपयोग ‘‘पीएम स्वामित्व योजना के तहत एक लाख से अधिक गांवों में संपत्तियों की मैपिंग करके समाधान लाने के लिए किया गया है’’।

उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के एक लाख से ज्यादा गांवों में ड्रोन के जरिये, मैपिंग का काम पूरा किया जा चुका है और लाखों लोगों को संपत्ति कार्ड भी दिए जा चुके हैं। इस अभियान से भी जमीन से जुड़े विवादों में कमी आएगी, जनता की परेशानी कम होगी।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि न्याय प्रदान करने की प्रणाली को अत्याधुनिक बनाने में प्रौद्योगिकी के लिए असीमित संभावनाएं हैं।

इस दिशा में उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि इसे आगे बढ़ाने के लिए इस साल के बजट में ई-अदालत मिशन के तृतीय चरण का एलान किया गया है। न्यायिक प्रक्रिया में कृत्रिम मेधा (एआई) के बढ़ते वैश्विक इस्तेमाल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें एआई के माध्यम से आम नागरिक के लिए न्याय की सुगमता में सुधार के प्रयासों को भी बढ़ावा देना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) प्रणाली महत्वपूर्ण हैं। पूर्वोत्तर में इस संबंध में समृद्ध परंपराएं हैं।’’ उन्होंने क्षेत्र के पारंपरिक कानूनों पर हाल ही में एक पुस्तक प्रकाशित करने के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय की सराहना करते हुए कहा, ‘‘विधि स्कूलों को भी इनके (एडीआर के) बारे में पढ़ाना चाहिए।’’

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया, ‘‘कानून को आम लोगों को समझ में आने वाली एक आसान भाषा में लिखा जाना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के प्रयास देश की अदालतों के लिए भी बहुत मददगार साबित होगी।’’ संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह सुखद संयोग है कि आज बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती है। उन्होंने हमारे संविधान के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जीवन को सुगम बनाने में सरकार, न्यायपालिका की अपनी भूमिकाएं हैं और प्रौद्योगिकी इसके लिए एक शक्तिशाली उपकरण है।’’ उन्होंने क्षेत्र में न्याय प्रदान करने में गुवाहाटी उच्च न्यायालय की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और कहा कि इस उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र देश में सबसे बड़ा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में असम सहित चार राज्य इसके अधीन हैं, जबकि 2013 तक सात राज्य इसके अधिकार क्षेत्र में थे।

मोदी ने अप्रचलित और अप्रासंगिक कानूनों को खत्म करने की आवश्यकता पर भी बात की, जिनमें से कुछ ब्रिटिश शासन के बाद से अस्तित्व में हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 2000 अप्रचलित कानूनों और 40,000 अनुपालन आदेशों को रद्द कर दिया है, जिससे अदालतों में मामलों को कम करने में मदद मिली है।

इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने असम पुलिस द्वारा डिजाइन किए गए एक मोबाइल एप्लिकेशन ‘असम कॉप’ की भी शुरुआत की। यह ऐप अपराध और आपराधिक नेटवर्क ट्रैकिंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) और वाहन राष्ट्रीय रजिस्टर के डेटाबेस से अभियुक्तों और वाहनों की खोज की सुविधा प्रदान करेगा।

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