वृन्दावन में विधवाओं के लिए खोला गया श्यामा दीदी सेवा आश्रम 

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Published By Ashpreet
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मथुरा। राधारानी की नगरी वृन्दावन में विधवाओं के लिए विधिवत नये आश्रम की स्थापना की गई है।इस आश्रम में 150 विधवाओं के रहने की व्यवस्था है। वैसे तो वृन्दावन में विधवाओं के लिए दो सरकारी और आधा दर्जन गैर सरकारी आश्रम हैं। डीपीओ अनुराग श्याम रस्तोगी के अनुसार चैतन्य विहार और कृष्णा कुटीर में विधवाओं के लिए जो आश्रम बनाए गए हैं उनमें लगभग सवा 400 संवासिनी रह रही हैं, जिनका पूरा खर्च प्रदेश सरकार वहन कर रही है।

इसके अलावा आधा दर्जन आश्रम निजी हैं। एक अनुमान के अनुसार इनमें लगभग एक हजार संवासिनी रह रही हैं जबकि वृन्दावन में निजी तौर से हजारों संवासिनी रह रही हैं और इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। इन विधवा माताओं के लिए राजपुर में गुरूकुल के बगल में निजी श्यामा दीदी सेवा आश्रम खोला गया है जिसमें वर्तमान में 130 विधवा माताओं के रहने की व्यवस्था की गई है।

अखिल भारतीय चतुः सम्प्रदाय के अध्यक्ष फूलडेाल महराज ने इस आश्रम का उदघाटन करते हुए कहा था कि विधवा माताओं की सेवा करना राधारानी की सेवा करना है। आश्रम की संचालिका श्यामा दासी ने बताया कि वर्तमान में आश्रम की स्थापना किराये के भवन में की गई है जब कि इनके लिए अलग भवन का निर्माण किया जा रहा है।यहां पर विधवा माताओं के लिए रहने व सुबह के नाश्ते से लेकर रात के भोजन, चिकित्सा तक की व्यवस्था की गई है ।

आश्रम में ठाकुर के एक मन्दिर की भी स्थापना की गई है जहां पर बैठकर माताएं भजन कीर्तन करती है। जो माताएं नित्य वृन्दावन के किसी मन्दिर में दर्शन करना चाहती है उन्हें इसकी भी इजाजत दे दी जाती है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं 11 वर्ष की आयु में वृन्दावन ठाकुर का भजन करने आ गई थीं तथा प्रारंभ में वे स्वयं आश्रमों में रही हैं।

इन आश्रमों में आनेवाली माताओं की पीड़ा को जब से उन्होंने सुना है तब से उनके मन में यह भाव आया कि उन्हें भी इन माताओं के लिए आश्रम खोलना चाहिए। शुरू में वे यह कार्य बहुत छोटे स्तर पर लगभग एक दशक से कर रही थीं किंतु दानदाताओं की मदद, संतों की कृपा और राधारानी के आशीर्वाद से वे बड़े भवन में माताओं के लिए आश्रम संचालित कर सकी हैं तथा नये भवन का निर्माण भी हो रहा है।

उनका कहना था कि वे वर्तमान के भवन में 150 से अधिक माताएं नही रखेंगी क्योंकि उनका मूल उद्देश्य माताओं को धर जैसी सुख सुविधा देना है।जो युवा माताएं आत्म निर्भर बनने के लिए कोई दस्तकारी या हुनर सीखना चाहेंगी वे उसकी भी व्यवस्था करेंगी। 

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