SC  के समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता देने का विरोध, महिला जाग्रति मंच ने दिया ज्ञापन 

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Published By Vishal Singh
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बरेली, अमृत विचार। सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक एवं विपरीत लिंगी (Transgender) आदि व्यक्तियों के विवाह के अधिकार को, विधि मान्यता देने के लिए कानून बनाया जा रहा है। उनके विवाह को सही ठहराने व मान्यता देने के विरोध में महिला जाग्रति मंच ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को दिया।

इस दौरान उन्होंने बताया भारत देश आज, सामाजिक, आर्थिक क्षेत्रों की अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब विषयांतर्गत विषय को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनने एवं निर्णीत करने की कोई गंभीर आवश्यकता नहीं है। देश के नागरिकों की बुनियादी समस्याओं जैसे गरीबी उन्मूलन, निःशुल्क शिक्षा का क्रियान्वयन, प्रदूषण मुक्त पर्यावरण का अधिकार जनसंख्या नियंत्रण की समस्या, देश की पूरी आबादी को प्रभावित कर रही है। उक्त गंभीर समस्याओं के संबंध में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न तो कोई तत्परता दिखाई गयी है ना ही कोई न्यायिक सक्रियता दिखाई है।

भारत विभिन्न धर्मो, जातियों, उप जातियों का देश है। इसमें शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष एवं जैविक महिला के मध्य, विवाह को मान्यता दी है। विवाह की संस्था न केवल दो विषम लैगिंको का मिलन है, बल्कि मानव जाति की उन्नति भी है। शब्द "विवाह को विभिन्न नियमों, अधिनियमों, लेखों एवं लिपियों में परिभाषित किया गया है। सभी धर्मों में, केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह का उल्लेख है। विवाह को, दो अलग लैंगिकों के पवित्र मिलन के रूप में, मान्यता देते हुये भारत का समाज, विकसित हुआ है, पाश्चात्य देशों में लोकप्रिय, दो पक्षों के मध्य, अनुबंध या सहमति को मान्यता नहीं दी है। उसके बाद भी भारत मे  समलैंगिक में कौन बनने जा रहा है जो बहुत ही गलत है इसका विरोध करते हैं इस तरह का कानून देश को बर्बाद कर देगा

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