बरेली : राजकीय पुस्तकालय... जहां पाठकों की भीड़ नहीं संभलती

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Published By Vishal Singh
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सिर्फ 40 लोगों की क्षमता के राजकीय पुस्तकालय में 75 नियमित पाठक, नए पाठकों में सदस्यता के लिए मारामारी भी

बरेली, अमृत विचार। राजकीय पुस्तकालय में पाठकों की संख्या इस धारणा को झुठला रही है कि इंटरनेट के युग में किताबें पढ़ने का चाव खत्म होता जा रहा है। इस पुस्तकालय के नियमित पाठकों की संख्या उसकी क्षमता से न सिर्फ दोगुनी है बल्कि नए पाठकों का पंजीकरण ही नहीं हो पा रहा है। यह बात अलग है कि यहां नियमित रूप से आने वाले पाठकों में ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा हैं।

इंद्रा मार्केट स्थित राजकीय जिला पुस्तकालय माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन है। वैसे तो अब ज्यादा लोग पुस्तकालयों का रुख नहीं करते, लेकिन पुस्तकालय में आने वाले सदस्य हर आयुवर्ग के हैं। विभागीय निर्देशों के मुताबिक इस पुस्तकालय में 40 लोगों को ही बैठने की अनुमति है लेकिन नियमित पाठकों की संख्या 75 है जो उसकी क्षमता की करीब दोगुनी है। इस वजह से 35 पाठकों के बैठने के लिए अतिरिक्त कुर्सी-मेज लगाकर यहां अलग व्यवस्था की गई है।

35 से ज्यादा लोगों को करना पड़ता है इंतजार
पुस्तकालय में हर रोज नए पाठक पहुंचते हैं मगर उन्हें यहां बैठने की इजाजत नहीं मिल पाती। कई पाठक यहां जमीन पर बैठकर अध्ययन करने की गुजारिश करते हैं लेकिन जगह की कमी के कारण इसकी भी इजाजत उन्हें नहीं दी जाती। उनका पुस्तकालय कर्मी मोबाइल नंबर जरूर नोट कर लेते हैं और कोई सीट रिक्त होने पर फोन कर उन्हें प्रवेश दे दिया जाता है। इंतजार में रहने वाले पाठकों की संख्या 35 से ज्यादा है।

तीन दिन अनुपस्थित रहे तो सदस्यता खत्म
पुस्तकालय में आने वाले पाठकों को स्थाई और अस्थाई सदस्य बनाया जाता है। यहां करीब 40 पाठक स्थाई सदस्य हैं तो बाकी अस्थाई हैं। इन पाठकों को सदस्यता कार्ड जारी किया जाता है। अस्थाई सदस्यता वाला जो पाठक तीन दिन तक नहीं आता है तो उसकी सदस्यता स्वत: निरस्त हो जाती है। इसके बाद दूसरे नए पाठक को अस्थाई सदस्यता दे दी जाती है।

32 हजार से अधिक पुस्तकों का संग्रह
राजकीय पुस्तकालय में 32,000 किताबों का संग्रह है। इनमें साहित्य, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, अर्थशास्त्र, तकनीकी ज्ञान वाली किताबें, सामान्य ज्ञान वाली किताबों के अलावा, तरह-तरह की पत्रिकाएं और समाचार पत्र शामिल हैं। नया संग्रह मंगाने के लिए पाठकों की जरूरतों का ध्यान रखा जाता है। प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए प्रेमचंद्र, धर्मवीर भारती, सूरदास, तुलसीदास, अटल विहारी बाजपेई, जयशंकर प्रसाद, विष्णु प्रभाकर, शरत चंद्र की किताबें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

जिला पुस्तकालय में पाठकों की संख्या ज्यादा होने के कारण अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। 40 सीटों वाली इस लाइब्रेरी में 75 नियमित पाठक हैं। जगह की कमी के कारण हर रोज कई नए पाठकों को लौटना पड़ता है। - श्वेता ठाकुर, सहायक प्रभारी राजकीय जिला पुस्तकालय

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