Nagar Nikay Chunav 2023 : विद्रोह का बिगुल! बागी नाम है मेरा, बगावत काम...

Amrit Vichar Network
Published By Bhawna
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भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस में पार्षद का टिकट नहीं मिलने पर कार्यकर्ताओं ने फूंका है विद्रोह का बिगुल, कांग्रेस ने किसी पार्षद का नहीं बदला टिकट, भाजपा और सपा ने आरक्षण का हवाला देकर नहीं दिया है मौका

आशुतोष मिश्र, अमृत विचार। चुनाव में हिस्सा लेने वाले दावेदारों की मेहनत पर कहीं आरक्षण की मार पड़ गयी तो, कहीं दलों में टिकट का निर्धारण करने वाली टीम ने दावेदारों से मुह मोड़ लिया। नतीजा यह है कि सभी दलों के विद्रोही चुनाव मैदान में कूद गए हैं। भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के कई पार्षद पद के दावेदार पार्टी के नियंताओं की चिंता बढ़ाए हुए हैं। सच तो यह है कि बागी नाम है मेरा, बगावत काम... का नारा बुलंद करने वाले कई असरदारों ने जनता की अदालत में अपनी दावेदारों पेश कर दी है। 

गुरुवार की शाम छह बजे तक महापौर से लेकर पार्षदों के तकदीर का फैसला हो जाएगा। जबकि, जनता की अदालत का निर्णय सुनाया जाएगा 13 मई को। दल में अनुशासन की दुहाई देने वाला भाजपा के रणनीतिकार बागियों के मुद्दे पर चुप हैं। चौपाल पर इस बात को लेकर बुहस छिड़ी है कि भाजपा ने दलीय प्रबंधन की अनदेखी से ही पार्षद पद के 17 बागी मैदान में है। साल 2017 के चुनाव में यहां भाजपा का मेयर चुना गया। सदन में भाजपा बहुमत में रही। बुद्धि विहार के पार्षद मनोज प्रभाकर की जगह पार्टी ने कविता गुप्ता को मौका दिया है। जबकि वीना अग्रवाल की बोर्ड में इस क्षेत्र से कविता गुप्ता चुनी गयीं थीं।   

 वार्ड सात नया गांव के निवर्तमान पार्षद अजय दिवाकर को पार्टी ने मौका नहीं दिया है। अबकी अजय की पत्नी रेखा दिवाकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। कोराना काल में जीवन की जंग हारे सरदार डिंपल सिंह अश्क की पत्नी ने भी दावा किया था। लाकड़ी फाजलपुर की भाजपा पार्षद अनीता ने भी बगावत की राह पकड़ ली है। समाजवादी पार्टी ने गलशहीद क्षेत्र के पार्षद अब्दुल करीम और चक्कर की मिलक के पार्षद इद्रीश मंसूरी को मौदान से बाहर कर दिया। अब्दुल करीम  निर्दल उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। 

सपा के कुल 51 पार्षद अधिकृत उम्मीदवार मैदान में हैं और 20 से अधिक बगावत कर चुके हैं। कांग्रेस के 52 प्रत्याशी मैदान में है। पार्टी ने सभी पार्षदों को दूसरी बार मौका दिया है। बावजूद इसके कांग्रेस से टिकट मांगर पांच से छह दावेदार दलीय अनुशासन की अनदेखीकर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने ऐड़ी-चोटी का दम लगाकर पार्षद पद पर कुल 34 अधिकृत प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।13 क्षेत्रों में निदर्लियों को समर्थन दिया है। बसपा के पास मेयर पद के उम्मीवार की लंबे समय से तलाश नामांकन के दो दिन पहले पूरी हो पाई। समाजवादी पार्टी से जुड़ मोहम्मद यामीन अचानक मेयर पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किए गए। बसपा साल 2017 का प्रदर्शन दोहरा पाएगी या इससे आगे झंडा गाड़ेगी यह समय बताएगा। 

दावा तो कांग्रेस, सपा और बसपा के मेयर पद के प्रत्याशियों का बड़ा- बड़ा है, लेकिन मैदान में सभी की हवा निकली दिख रही है। पार्षद पद के बागियों का उधम चौपाल पर चर्चा में है। सबसे अधिक बगावत सपा झेल रही है। जबकि मेयर पद के उम्मीदवार के वाहन पर टिकट नहीं मिलने के गुस्से की प्रतिक्रिया सभी के सामने है। दो दिन पहले सपा के मेयर प्रत्याशी के वाहन पर कांठ रोड क्षेत्र में पथराव तक हो गया। जिसकी शिकायत पुलिस में दर्ज है। यानी की पार्षद के पद के चुनाव में सभी दलों के बागियों का गुस्सा नया इतिहास रच दे तो कोई आश्यर्च नहीं समझा जाना चाहिए।

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