दहशतगर्दी के खिलाफ लड़ी गई थी कर्बला की जंग: सज्जादानशीन

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बरेली, अमृत विचार। छठे मोहर्रम पर दरगाह आला हजरत के टीटीएस कार्यालय पर चंद लोगों की मौजूदगी में कार्यक्रम किया गया। इसमें इमाम हुसैन की शहादत पर दरगाह के सज्जादानशीन और अन्य उलेमाओं ने रोशनी डाली। कार्यक्रम के बाद देश में अमन चैन और भाईचारे की दुआ के साथ कोरोना वायरस के खात्मे की दुआ …

बरेली, अमृत विचार। छठे मोहर्रम पर दरगाह आला हजरत के टीटीएस कार्यालय पर चंद लोगों की मौजूदगी में कार्यक्रम किया गया। इसमें इमाम हुसैन की शहादत पर दरगाह के सज्जादानशीन और अन्य उलेमाओं ने रोशनी डाली। कार्यक्रम के बाद देश में अमन चैन और भाईचारे की दुआ के साथ कोरोना वायरस के खात्मे की दुआ की गई।

दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने कर्बला के 72 शहीदों को याद करते हुए कहा कि मोहर्रम को आज के हालात से अगर जोड़कर देखा जाए तो यह उस दौर का आतंकवाद था। भारत ही नहीं दुनिया के कई देश दहशतगर्दी का शिकार हैं।

इमाम हुसैन ने भी यजीद नाम के दहशतगर्द के हाथों बैत मंजूर न की। पूरा घर लुटा दिया लेकिन मजहब ए इस्लाम पर आंच न आने दी। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने इंसानियत के खातिर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। उनकी शहादत इस बात की गवाह है कि जुल्म इस्लाम का हिस्सा नहीं है। इमाम हुसैन का मकसद दुनिया को यह पैगाम देना था कि इंसान सच्चाई की राह पर सब्र का दामन थामे रखे तो उसे कामयाब होने से कोई नही रोक सकता।

उन्होंने कहा कि कर्बला के मैदान में आज से 1400 साल पहले लड़ी गई जंग हक और बातिल की जंग थी, जिसमें हक की जीत हुई और बातिल की हार। जंग में इमाम हुसैन हारकर भी जीत गए और यजीद जीतकर भी हार गया। मोहर्रम की नौ और 10 तारीख को रोजा रखने के बारे में बताया गया। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि इस मौके पर उलेमा मौजूद रहे। फातिहा के बाद मुफ्ती अहसन मियां ने मुल्क से कोरोना वाइरस के खात्मे की दुआ की।

इंसेट….
हक और सच्चाई की हिफाजत के लिए इमाम हुसैन ने शहादत कबूल की
बरेली। सुभाष नगर के पुरवा बब्बन खां स्थित 153 साल पुराना चुम्मन बी के पुश्तैनी इमामबाड़े पर कोरोना वायरस के खात्मे के लिए दुआ की गई। इमामबाड़े जिक्र ए हुसैन करते हुए फरजाना रहुफ ने कर्बला का मंजर बया कर 72 शहीदाने कर्बला को खिराजे अकीदत पेश की। इस मौके पर शहनाज बी, फरजाना रहुफ, मेहनाज बी, अदीबा, सलमा, निशी, फरहा, नबीला खानम, सफदर, रुबीना, सैफ उल्लाह खां, नसीम अहमद खां, सलीम अहमद,हाजी नौशाद अली,नसीम उल्लाह खां, फैजरिन, अर्सलान समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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