कानपुर: श्री हरिकथा जीवन का एक दर्पण: शिवशरणा नंद

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Published By Ashpreet
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कानपुर, अमृत विचार। श्री हरिकथा जीवन का एक दर्पण है। यह जीवन की एक आदर्श संहिता है। इसके केवल श्रवण मात्र से कल्याण नहीं बल्कि आचरण में लाने से फलदायी होती है। मीराबाई ने भी स्वंय को पठन पाठन तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने भी श्री हरि की भक्ति की।

यह शब्द श्री हरि कथा का रसपान करा रहे दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी शिवरणानंद ने कहे। सनिगवां रोड स्थित सनिगवां मंदिर में चल रही श्री हरि कथा में मीराबाई के प्रसंग को भी विस्तृत सुनाया। उन्होंने कहा कि आज डाक्टर, इंजीनियर एवं उच्च शिक्षित वैज्ञानिक भी कैसे पतन का परिचय दे रहे हैं।

इसलिए शिक्षा के साथ दीक्षा का समन्वय अति आवश्यक है। श्री महाराज का कथन है, 'वही शिक्षा सार्थक है जिससे एक व्यक्ति के भीतर विवेक जागृत हो तथा वह समाज निर्माण में अपनी सशक्त व जिम्मेदार भूमिका निभा सके। वहीं कथा में स्वामी दिव्येश्वरानंद जी ने भजनों को ताल एवं लयबद्ध प्रस्तुत किया।

जिससे संपूर्ण पंडाल जय श्री राम के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व विधायक रघुनंदन सिंह, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अनीता गुप्ता, शिवकरन सिंह, सागर भदौरिया, राकेश शुक्ला, दिनेश गौतम आदि उपस्थित रहे।

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