बरेली: बच्चों! जिला अस्पताल आ गए हो, ये बला भी बीमारी से कम नहीं

कामचलाऊ इंतजाम : बीमार बच्चों का इलाज मुश्किल, स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज होना भी, एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ के रिटायर होते ही जिला अस्पताल में शुरू हुआ संकट, बच्चों को भर्ती कर रहे हैं एमबीबीएस डॉक्टर पर डिस्चार्ज करने की अनुमति नहीं

बरेली: बच्चों! जिला अस्पताल आ गए हो, ये बला भी बीमारी से कम नहीं

बरेली, अमृत विचार : बच्चे कहने को सरकारी अस्पताल में हैं लेकिन उनका यह समझना मुश्किल है कि बीमारी से निजात पाने के लिए वे किस बला से घिर गए हैं। कई बच्चे स्वस्थ होने के बाद भी सिर्फ इसलिए डिस्चार्ज नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि उनका इलाज करने वाले डॉक्टर को उन्हें डिस्चार्ज करने की ही अनुमति नहीं है। दूसरे, डॉक्टर की व्यवस्था भी कामचलाऊ है लिहाजा यह भी गारंटी नहीं है कि समय पर इलाज मिल पाएगा या नहीं।

ये भी पढ़ें - बरेली: ताइवान सरकार रुविवि के सात छात्रों को देगी छात्रवृत्ति

जिला अस्पताल में एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर करमेंद्र के 31 मई को रिटायर होने के बाद बच्चों का इलाज बेहद मुश्किल हो गया है। गर्मी के मौसम में एक तरफ जहां अस्पताल में डायरिया से ग्रसित बच्चों का तांता लगा हुआ है और काफी समय से बच्चा वार्ड फुल है, वहीं दूसरी तरफ बच्चों का दूसरा कोई डॉक्टर नहीं है।

काम चलाने भर के लिए एक एमबीबीएस डॉक्टर को बच्चों की ओपीडी देखने और उन्हें भर्ती करने की जिम्मेदारी दे दी गई है, लेकिन बच्चों को डिस्चार्ज करने की अनुमति उन्हें नहीं दी गई है। इसका नतीजा यह है कि बच्चे स्वस्थ होने के बाद भी यहां से डिस्चार्ज नहीं हो पा रहे हैं। भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बच्चा वार्ड की हालत भी खराब होती जा रही है। यहां क्षमता से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं। एक-एक बेड पर कई-कई बच्चों को रखना पड़ रहा है।

शासन को पत्र, कामचलाऊ व्यवस्था नहीं, डॉक्टर की तैनाती करें: डॉ. करमेंद्र के रिटायर होने के बाद जिला अस्पताल प्रबंधन ने महिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ को मांगा था। तय हुआ था कि वह ऑन कॉल बच्चों का इलाज करने जिला अस्पताल आएंगे लेकिन शिकायत है कि वह समय पर बीमार बच्चों को देखने नहीं पहुंच रहे हैं जिसकी वजह से दिक्कतें हो रही हैं। स्टाफ की शिकायत के बाद जिला अस्पताल की एडीएसआईसी ने शासन को पत्र भेजकर बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर की तैनाती की मांग की है।

संकट : 70 फीसदी बच्चे डायरिया पीड़ित: बच्चा वार्ड के डाटा के अनुसार मार्च से मई तक बच्चा वार्ड में 720 बच्चे भर्ती किए गए जिनमें 70 फीसदी डायरिया से ग्रसित थे। गंभीर हालत होने की वजह से बड़ी संख्या में बच्चे हायर सेंटर भी रेफर किए गए।

बच्चों की ओपीडी और भर्ती करने के लिए डॉक्टर को जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि बेहतर व्यवस्था के लिए शासन को पत्र भेजकर बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती की मांग की गई है।-डॉ. अलका शर्मा, एडीएसआईसी, जिला अस्पताल

ये भी पढ़ें - बरेली: नौ को होगा ''द रेल कैफे रेल कोच'' रेस्टोरेंट का आरंभ