आपदा प्रबंधन की ताकत
बड़े से बड़ा लक्ष्य हो, कठिन-से-कठिन चुनौती हो, भारत के लोगों का सामूहिक बल, सामूहिक शक्ति, हर चुनौती का हल निकाल देता है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में गुजरात में आए चक्रवाती तूफान की चर्चा करते हुए कहा कि बिपरजॉय ने कच्छ में कितना कुछ तहस-नहस कर दिया, लेकिन, कच्छ के लोगों ने जिस हिम्मत और तैयारी के साथ इतने खतरनाक तूफान का मुक़ाबला किया, वो भी उतना ही अभूतपूर्व है।
पिछले वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है, वो आज एक उदाहरण बन रही है। गौरतलब है कि तुर्किये और सीरिया में भूकंपों के बाद, दुनिया ने भारत के आपदा प्रबंधन प्रयासों की भूमिका को पहचाना और सराहा है।
दुनिया के 100 से ज्यादा देश भारत के नेतृत्व में गठित गठबंधन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल हुए हैं। सही है कि प्राकृतिक आपदाओं को पूर्वानुमान के बावजूद रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इनके प्रभाव को एक सीमा तक जरूर कम किया जा सकता है, जिससे कि जान-माल का कम से कम नुकसान हो।
प्रत्येक वर्ष प्राकृतिक आपदाओं से अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है। ध्यान रहे आपदा प्रबंधन का पहला चरण है खतरों की पहचान। इस अवस्था पर प्रकृति की जानकारी तथा किसी विशिष्ट अवस्थल की विशेषताओं से संबंधित खतरे की सीमा को जानना शामिल है। साथ ही इसमें जोखिम के आंकलन से प्राप्त विशिष्ट भौतिक खतरों की प्रकृति की सूचना भी शामिल होती है।
आपदा के बाद की स्थिति आपदा प्रबंधन का महत्वपूर्ण आधार है। जब आपदा के कारण सब कुछ अस्त-व्यस्त हो जाता है तब उजड़े जीवन को पुन: बसाना एक बड़ी चुनौती होता है। प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका है– प्रकृति का संरक्षण। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक गतिशील प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है।
पिछली शताब्दी की प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन करके एक सटीक अनुमान लगाया जा सकता है, साथ ही इन विधियों को समय रहते संशोधित करने पर जोर दिया जा सकता है। तीन माह पूर्व प्रधानमंत्री ने ठीक ही कहा था कि परंपरा और प्रौद्योगिकी हमारी ताकत हैं, और इस ताकत के साथ, हम न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए आपदा प्रतिरोध से संबंधित सर्वश्रेष्ठ मॉडल तैयार कर सकते हैं।
