तानाशाही : अफसरशाही के रौब में यातायात नियम ‘धुंआ’, कंडम वाहन से अधिकारी भर रहे फर्राटा

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Published By Bhawna
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निजी वाहन चालकों पर होती है कार्रवाई

एडीएम सिटी और एडीएम प्रशासन के वाहनों में नहीं लगी हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट। 

निर्मल पांडेय, अमृत विचार। सरकार ने एक अप्रैल 2019 को वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) अनिवार्य कर दिया। आदेश आगू कराने में ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी प्रयास कर रहे हैं। वाहन स्वामियों के विरुद्ध कार्रवाई कर करोड़ों रुपये जुर्माना भी वसूला गया है। अप्रैल-मई में ही संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) ने मंडल स्तर पर कुल 405 वाहनों का चालान इस बात पर कर दिया कि उनमें एचएसआरपी नहीं लगा था और इन वाहन स्वामियों से कुल 10.40 लाख रुपये भी वसूल 
किए हैं।

सवाल यह है कि क्या नियम-कानून निजी वाहन स्वामियों पर ही प्रभावी होंगे? क्या सरकारी वाहनों के लिए नियम नहीं हैं। कुछ ऐसा ही नजारा बुधवार दोपहर डेढ़ बजे के दौरान कलेक्ट्रेट में देखने को मिला। यहां खड़े अधिकांश वाहनों में एचएसआरपी वाली नंबर प्लेट नहीं दिखी। वाहन नंबर से जानकारी मिली कि प्रशासन के बड़े अधिकारी तक के वाहनों में एचएसआरपी वाली नंबर प्लेट नहीं है। एसीएम-प्रथम के वाहन में पीछे नंबर प्लेट ही नहीं थी। आगे वाली नंबर प्लेट एचएसआरपी की नहीं है। मामला यहीं तक नहीं सीमित है। 

एडीएम प्रशासन, एडीएम सिटी, सिटी मजिस्ट्रेट से लेकर पुलिस की जिप्सी तक में न प्रदूषण अंडर कंट्रोल है और न ही हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट। एसडीएम सदर के सरकारी वाहन में भी हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट नहीं है। वैसे इन अधिकारियों के वाहन यातायात नियमों का उल्लंघन करने में उदाहरण मात्र हैं। ऐसे ही पुलिस व अन्य विभागों में काफी संख्या में वाहन अधिकारियों को ढो रहे हैं, जिनमें न फिटनेस है और न ही हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगी है।

पंजीयन निरस्त, सवारी काट रहे साहब : बुधवार दोपहर के डेढ़ बज रहे थे। एक अधिकारी कलेक्ट्रेट से बाहर आकर जिप्सी (यूपी-32-एम-8847) पर सवार हो रहे थे। इस जिप्सी का फिटनेस व प्रदूषण अंडर कंट्रोल की बात दूर, पंजीयन (आरसी) तक निरस्त हो चुका है। सरकारी रिकार्ड में कंडम हो चुकी है।

इस मामले में केंद्र सरकार का एक आदेश भी है जिसमें कहा गया है कि एक अप्रैल 2023 तक 15 वर्ष की आयु पूरी करने वाले सभी सरकारी वाहन कंडम घोषित किए गए हैं। जबकि, यूपी-32-एम-8847 नंबर की जिप्सी 27 साल पुरानी है। कहने का अर्थ है कि सरकारी दस्तावेज में भले ही जिप्सी कंडम हो लेकिन, वह सड़क पर फर्राटा भर रही है। यही हाल कलेक्ट्रेट में खड़ा मिला प्राइवेट वाहन (यूपी 32-बीजी-1279) भी निर्धारित आयु 15 वर्ष पूरी कर चुका है। फिटनेस आदि की भी अवधि पूरी हो चुकी है। वैसे नियम-निर्देशों के मुताबिक, ये दोनों वाहन सड़क मार्ग पर संचालित होना निषेध है, लेकिन अधिकारियों को बराबर गंतव्य स्थलों पर ढो रहे हैं।

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फिटनेस में होता भारी जुर्माना
सरकारी वाहनों में भी फिटनेस और पीयूसीसी अनिवार्य है। वैसे वाहन स्वामी के पास फिटनेस का प्रमाणपत्र न होने पर पुलिस या परिवहन विभाग के अधिकारी बिना देरी के 5,000 रुपये का और प्रदूषण अंडर कंट्रोल वाला प्रमाणपत्र न होने पर 10,000 रुपये का चालान कर देते हैं।

नियमों का पालन न करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों को जिलाधिकारी की तरफ से नोटिस जारी कराएंगे और फिर उन लोगों को वाहन की प्रक्रिया पूरी करने का एक सप्ताह का मौका भी देंगे। इसके बाद वह खुद कलेक्ट्रेट जाकर वाहनों का चालान करेंगे। ये सही है कि पहले वरिष्ठों को नियम-निर्देशों में रहना चाहिए, ताकि उनसे लोग प्रेरणा लेकर अनुशासन में रहें। -आनंद निर्मल, एआरटीओ (प्रवर्तन)

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