लखनऊ : स्वास्थ्यकर्मियों का संघर्ष लाया रंग, स्थानान्तरण नीति को लेकर बैकफुट पर आई सरकार

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ के बैनर तले संघर्षरत स्वास्थ्यकर्मियों के आन्दोलन ने सरकार को सोचने पर विवश कर दिया है। स्थानान्तरण नीति - 2023 को लेकर फैसला बदल दिया गया है। बताया जा रहा है कि स्थानान्तरण नीति के नियमों का इस्तेमाल तबादले के दौरान फिलहाल नहीं किया जायेगा। इस बात की जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक ने चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में दी है।

महासंघ (2)

दरअसल, स्थानान्तरण नीति को गलत बताते हुये प्रदेश के स्वास्थ्यकर्मी लंबे वक्त से इसके विरोध में थे,सुनवाई न होने पर 20 जून से काला फीता आन्दोलन एवं 24 जून से  2 घंटे का अस्पतालों में कार्य वहिष्कार कर अपना विरोध जताया। स्वास्थ्यकर्मियों के आक्रोश को देखते हुये चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक ने चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ के प्रतिनिधि मंडल के साथ रविवार को बैठक कर शासन स्तर पर हुये निर्णयों के बारे में बताया और आन्दोलन रोकने की बात कही।

बताया जा रहा है कि स्थानान्तरण नीति को लेकर उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक कर डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की मांगों को ध्यान में रखते हुये मौजूदा स्थानान्तरण नीति पर फिलहाल रोक लगा दी है। यानी की अब तबादले इस नीति के अनुसार नहीं होंगे। इतना नहीं बीते वर्ष में गलत हुए स्थानांतरण को भी यथासंभव संशोधित किया जायेगा। जिसके बाद चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ ने आन्दोलन को स्थगित कर दिया। 

बैठक में महासंघ के अध्यक्ष डा अमित सिंह, अशोक कुमार,श्रर्वण सचान, सर्वेश पाटिल, अरविंद वर्मा, के के सचान, अमिता रौस, गितांशु वर्मा, रेनू पटेल, सुनील कुमार, जिला अध्यक्ष कपिल वर्मा, कमल श्रीवास्तव समेत कई लोग उपस्थित रहे। 

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