भारत की चिंता

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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विश्व ‘खाद्य, ईंधन और उर्वरक’ के अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। इसका सबसे तीखा प्रभाव ग्लोबल साउथ में अनुभव किया जा रहा है। ग्लोबल साउथ की चिंताओं को उठाने के लिए भारत के प्रयासों की हमेशा सराहना की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी है कि वे भारत को इतना मजबूत कंधा मानते हैं कि अगर ग्लोबल साउथ को ऊंची छलांग लगानी है तो भारत उसे आगे ले जाने के लिए अपने कंधे का सहारा दे सकता है।

फ्रांसीसी समाचार पत्र ‘लेस इकोस’ को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के, खासकर ग्लोबल के देशों पर पड़ने वाले असर को लेकर भारत बहुत चिंतित है। वे गुरुवार से तीन दिवसीय विदेश यात्रा पर हैं। यात्रा के बीच प्रधानमंत्री ने जो बातें साक्षात्कार में कहीं हैं, उन्हें लेकर काफी चर्चा हो रही है। वास्तव में कोविड महामारी के प्रभाव से पीड़ित देश अब ऊर्जा, खाद्य और स्वास्थ्य संकट, आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति और बढ़ते ऋण बोझ का सामना कर रहे हैं।

रूस-यूक्रेन संघर्ष के ग्लोबल साउथ पर पड़ने वाले भयावह परिणाम नजर आने लगे हैं। ऐसे में संघर्ष समाप्त होना चाहिए। जैसा कि पीएम मोदी ने कहा कि भारत जिस भविष्य का निर्माण करना चाहता है, उसके लिए शांति जरूरी है। यह युद्ध का युग नहीं है। हमने दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मुद्दों को हल करने का आग्रह किया है। 

गौरतलब है कि भारत हमेशा वार्ता और कूटनीति के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करने का पक्षधर रहा है। ध्यान रहे ग्लोबल साउथ में लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र शामिल हैं। यह राष्ट्रों के बीच राजनीतिक, भू-राजनीतिक और आर्थिक समानताओं के संगम का प्रतिनिधित्व करता है।

ऐतिहासिक रूप से इन देशों को गरीबी, राजनीतिक अस्थिरता और अविकसितता सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, हाल के दशकों में, ग्लोबल साउथ एक जबरदस्त ताकत के रूप में उभरा है, जो आर्थिक विकास और सामाजिक विकास को बढ़ावा दे रहा है।

साथ ही वैश्विक मंच पर अधिक प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा है। इसी वर्ष भारत ग्लोबल साउथ की चिंताओं को प्रतिध्वनित करने तथा इसे उजागर करने के लिए जी 20 की  अध्यक्षता का उपयोग करने का प्रयास करेगा ताकि सभी विकासशील देश किसी भी चुनौती से निपट सकें।