लखनऊ : एसिडिटी की दवा का सेवन खराब कर सकता है किडनी, जाने क्या कहते हैं विशेषज्ञ

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, लखनऊ । पाचन संबंधी समस्याओं से एक बड़ी आबादी प्रभावित है। सबसे अधिक लोग एसिडिटी की समस्या से पीड़ित है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक 10 में से 7 लोग पाचन तंत्र से संबंधित किसी न किसी समस्या से ग्रसित होते हैं। यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के फिजियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नरसिंह वर्मा ने दी। वह मंगलवार को एक निजी होटल में एसिडिटी करोड़ों लोगों की समस्या का सुरक्षित समाधान विषय पर आयोजित  जागरूकता कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि एसिडिटी की समस्या आजकल की खराब जीवनशैली की वजह से ज्यादा बढ़ रही है। ऐसे में जीवन शैली को सुधार कर काफी हद तक एसिडिटी की समस्या से राहत मिल सकती है। केवल दवाएं बीमारी को ठीक नहीं कर सकती हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार यदि समस्या हो रही है तो चिकित्सक से मिलकर उस के निर्देश पर ही इलाज कराएं। नहीं तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

इस अवसर पर डॉ. राजकुमार शर्मा ने बताया कि 10 से 30 प्रतिशत भारतीय आबादी हाइपर एसिडिटी संबंधित विकार से प्रभावित है। इस समस्या से जूझ रहे लोगों को अपने मन से दवा नहीं लेनी चाहिए। बल्कि चिकित्सक को दिखाकर ही इलाज कराना चाहिए। बिना चिकित्सक के बताए दवा खाने पर गंभीर समस्या हो सकती है। जिसके परिणाम हमेशा परेशान करने वाले रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एसिडिटी की समस्या को हल्के में ना लें, यह किसी अन्य गंभीर रोग के भी लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपने मन से एसिडिटी की दवा खाने से किडनी पर भी असर हो सकता है।

वही किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर सीजी अग्रवाल ने कहा कि भोजन के पाचन के लिए पेट में एसिड के आदर्श स्तर की जरूरत होती है, लेकिन अत्यधिक मात्रा में एसिडिटी होना पाचन के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। उन्होंने बताया कि एसिडिटी के प्रबंधन के लिए सुरक्षित और संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वस्थ जीवन शैली और नियमित व्यायाम के अलावा हमें दवाइयों का चयन करते समय भी सावधानी बरतनी होगी।

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