मिर्जापुर/शाहजहांपुरः गंगा की बाढ़ से नहीं सुधर रहे हालात, सड़कों पर रहने को मजबूर लोग

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Published By Shobhit Singh
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मिर्जापुर/शाहजहांपुर, अमृत विचार। गंगा की बाढ़ का कहर फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बाढ़ का पानी लगातार आबादी क्षेत्र में घुसता जा रहा है, जिससे ग्रामीणों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बाढ़ के बीच लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं। खाने-पीने और जरूरत का सामान लाने-ले जाने में ग्रामीणों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। 

क्षेत्र के भरतपुर, कटैलानगला, बटननगला, लोहारनगला, मोतीनगला, पैलानी, बांसखेड़ा, मोहकमपुर, महोलिया, बख्तावरगंज समेत कई गांवों में प्रशासन की कोई मदद ग्रामीणों तक नहीं पहुंच सकी है। चूल्हे जलाने के लिए ईंधन गीला होने के चलते खाना बनाने में काफी परेशानी हो रही है। बाढ़ के चलते गैस सिलिंडर मिलने में भी परेशानी हो रही है। 

वहीं, आजादनगर के लोग नगला बसोला मार्ग पर डेरा जमाए हुए हैं। प्रधान प्रतिनिधि रिजवान अहमद ने बताया कि आजादनगला के 80 परिवारों को आज भोजन के पैकेट वितरित किए। बाढ़ प्रभावित पैलानी के 250 परिवारों की सूची बना ली गई है। सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन को सूची उपलब्ध करा दी गई है। वहीं, आजादनगर निवासी नाजिम, लईक, साबिर आदि ने बताया कि शनिवार को गंगा का जलस्तर थमा रहा, लेकिन बाढ़ से कोई राहत नहीं है। 

तहसीलदार पैगाम हैदर व नायब तहसीलदार पंकज ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र चौरा बसोला मार्ग का दौरा किया। वहीं मिर्जापुर क्षेत्र में आई बाढ़ से आसपास के दर्जनों गांवों में सैकड़ों हेक्टेयर फसल को भारी नुकसान हुआ है। धान सहित अन्य फसलें अब भी पानी में डूबी हुई हैं। किसान फसल खराब होने की आशंका से परेशान हैं। एक ओर वह घर छोड़कर खुले आसमान के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और दूसरी ओर उनकी फसलें तबाह हो रही हैं।

मिर्जापुर क्षेत्र के किसानों का कहना है कि तमाम ऐसे किसान हैं जिनकी पूरी फसल बाढ़ और वर्षा से चौपट हो चुकी है। सैकड़ों किसानों ने रकम पेशगी देकर ठेके पर खेत लिए थे। किसी ने ब्याज पर रकम लेकर लागत लगाई थी, लेकिन वह भी पानी में डूब गई। इन खेतों में भारी वर्षा से भरा पानी जल्द सूखने वाला नहीं है। ऐसे में किसानों को घोर निराशा का सामना करना पड़ रहा है। ठेके पर खेत लेने वाले किसानों पर दोहरी मार पड़ने की आशंका है। उन्होंने पहले खेत मालिक को पैसा देकर खेत लिया, उसमें लागत लगाई और फसल की रोपाई कराई। इससे पहले वह फसल काट पाते आपदा ने ग्रहण लगा दिया।

फसल डूबने के साथ ही किसानों के अरमानों पर भी पानी फिर गया है। ठेके पर खेत लेने वाले किसानों को एक ओर तो फसल का नुकसान हुआ है और दूसरी ओर ठेके के लिए जो पैसा उन्होंने खेत मालिक को दिया है वह भी डूबता हुआ दिखाई दे रहा है। अब किसानों के सामने भविष्य को लेकर संकट खड़ा हो गया है। एक ओर जो जमा पूंजी थी उन्होंने उसे लगा दिया और दूसरी ओर भविष्य में होने वाली कमाई पर भी ब्रेक लग गया है। इसको लेकर किसान परेशान हैं।

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