हल्द्वानी: रडार पर माही के मददगार, सफेदपोश और रसूखदार

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Published By Bhupesh Kanaujia
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एक शराब माफिया ने दिया था माही और दीप को संरक्षण, सफेदपोश और रसूखदारों की कुंडली खंगाल रही खाकी

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। बिना पैसों के फरारी काटना नामुम्किन है। ऐसे में बिना छत और ऐश-ओ-आराम की तलबगार हो चुकी माही के लिए एक पल भी काटना मुश्किल था, लेकिन उसने 9 दिन गुजार दिए और भी बिना कैश के। ऐसे में अब माही के मददगारों की कुंडली खंगालनी खाकी ने शुरू कर दी है। इसमें कई सफेदपोश हैं तो कुछ शहर के रसूखदार भी। 
 

 14 जुलाई से फरारी काट रही माही और उसके प्रेमी को दिल्ली में आसरा नहीं मिला तो रात एक होटल में गुजारी। अगली रात पीलीभीत में और फिर दोनों बस से दिल्ली से पहुंच गए। दीप, माही के साथ मिलकर प्रॉपर्टी का काम करता था और इसकी आड़ में लालकुआं क्षेत्र में शराब का अवैध धंधा भी करता था। ये शराब दीप दूसरे राज्य के शराब माफिया से मंगाता था और दीप के साथ माही के रिश्ते भी इस शराब माफिया से बेहद गहरे थे। बताया जाता है कि दीप फरारी के बाद लगातार छिपने का ठिकाना तलाश रहा था और इसी शराब माफिया की मदद से इन लोगों ने कई दिन दिल्ली और एनसीआर में गुजारे। पहले होटलों में रुके और फिर एक फ्लैट में ठहरे। 
   

पैसे न तो माही के पास थे और न ही दीप के पास। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि माही की मदद शराब माफिया के अलावा और कौन-कौन कर रहा था। यह बात पहले ही सामने आ चुकी है कि माही के कई सपेदपोश, व्यवसायी और रसूखदारों से संबंध थे। इन्हीं में से एक कांग्रेसी नेता का वो व्यापारिक साझेदार था, जिसने माही को घर बनाने में मदद की। पुलिस इस व्यापारिक साझेदार की कुंडली भी खंगाल रही है। साथ यह भी पता लगा रही है कि फरारी के दौरान किस-किस सफेदपोश, व्यवसायी और रसूखदार ने माही की मदद की। 

 

हत्याकांड में मुख्य आरोपी सहित तीन को गिरफ्तार कर लिया गया और अन्य दो की तलाश जारी है। हमारी टीम यह पता कर रही है कि फरारी के दौरान किन-किन लोगों ने माही और उसके साथियों की मदद की है। जितने लोगों ने भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से माही की मदद की है, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। 
- डॉ.निलेश आनंद भरणे, आईजी, कुमाऊं


सहानुभूति बटोरने को माही ने गढ़ी गैंगरेप के कहानी
हल्द्वानी : पुलिस की पूछताछ में माही एक कहानी गढ़ी, ताकि उसे सहानुभूति मिल सके। उसने पुलिस को बताया कि बचपन में उसे प्रेमी से धोखा मिला। उसके साथ गैंगरेप किया गया। इससे आहत होकर उसने नींद की गोलियां खा लीं। इस घटना से उसे परिवार से सहानुभूति के बजाय तिरस्कार मिला और उसने अपना घर छोड़ दिया।

ये बात वर्ष 2008 की है और तब वो प्रेमपुर लोश्ज्ञानी में परिवार के साथ रहती थी। वर्ष 2016 में उसकी मुलाकात दीप से हुई और तब से दीप उसके साथ है। वहीं पुलिस का कहना है कि माही ने यह कहानी सिर्फ और सिर्फ लोगों की सहानुभूति हासिल करने के लिए गढ़ी है। माही का भाई मानसिक रूप से कमजोर है। ऐसे में उसके द्वारा पिटाई की बात निराधार है। 


हत्याकांड से जुड़ रहा है शहर के क्रॉकरी वाले का नाम
हल्द्वानी : माही के चाहने वालों की फेहरिस्त में एक नाम शहर के एक क्रॉकरी वाले का भी है। ये क्रॉकरी वाले कई सालों से माही के संपर्क में था और उसके बुलावे पर माही उसके पास आती रहती थी। सूत्र कहते हैं कि इस क्रॉकरी वाला भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हत्याकांड से जुड़ा है।

हालांकि अभी तक यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि इस हत्याकांड से क्रॉकरी वाले को क्या लाभ होना था, लेकिन इतना साफ है कि क्रॉकरी वाले ने हर वो काम किया, जो उससे माही ने कहा। अब देखने वाली बात यह है कि आने वाले दिनों में किन-किन शरीफ चेहरों से नकाब उतरते हैं? क्या इस हत्याकांड से सिर्फ माही का मकसद हल हो रहा था या फिर कुछ और लोग भी हैं, जो अंकित की मौत से कुछ हासिल करना चाहते थे।  

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