Kanpur: अब विलंब शुल्क लेकर भूखंड की रजिस्ट्री करेगा UPSIDA, विवादित भूखंडों से जुड़ी समस्या के समाधान को गठित की जाएगी समिति
कानपुर में उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में लिए गए अहम फैसले।
कानपुर में उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में अहम फैसले लिए गए। अब विलंब लेकर शल्क भूखंड की रजिस्ट्री यूपीसीडा करेगा। विवादित भूखंडों पर भौतिक कब्जे के लिए समय विस्तारण की सुविधा भी मिलेगी।
कानपुर, अमृत विचार। उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) बोर्ड की 43 वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इन फैसलों से आवंटियों को बड़ी राहत मिलेगी। प्राधिकरण ने तय किया है औद्योगिक, संस्थागत, कॉमर्शियल, ग्रुप हाउसिंग के उन आवंटियों को राहत दी है जिन्होंने बिना रजिस्ट्री कराए ही इकाई शुरू कर दी।
ऐसे आवंटी अब विलंब शुल्क जमा कर भूखंड की रजिस्ट्री करा सकेंगे। साथ ही ऐसे भूखंड जिन पर विवाद के कारण इकाई स्थापित करना संभव नहीं हो पाया है, वहां भौतिक कब्जे की अवधि का समय विस्तार किया जाएगा। इसके लिए क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय स्तर पर एक समिति बनाई जाएगी जो समस्या निस्तारित करेगी।
प्राधिकरण के सीईओ मयूर माहेश्वरी आवंटियों को एक के बाद एक ऑनलाइन सुविधाएं देते जा रहे हैं और वह प्राधिकरण को सौ प्रतिशत ऑनलाइन किए जाने के लक्ष्य को पूर्ण कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने रजिस्ट्री कराने की निर्धारित अवधि बीतने के बाद भी रजिस्ट्री न कराने वाले आवंटियों को राहत देने का निर्णय लिया है। इस सुविधा के अंतर्गत आवंटियों पर समय विस्तारण शुल्क की देयता नहीं पड़ेगी।
इससे होने वाले लाभ से आवंटी दो प्रकार से वित्तीय भार से बच सकता है। एक समय विस्तारण शुल्क और दूसरा प्रचलित प्रीमियम दर पर लगने वाला विलंब शुल्क। प्राधिकरण की इस पहल से उद्यमियों पर लगने वाले वित्तीय भार कम हो सकेंगे जिससे वह अपनी इकाई को सुदृढ़ रूप से कार्यरत करेंगे और प्रदेश की जीडीपी में सहभागीदारी होंगे।
रजिस्ट्री के लिए यह शर्त लागू
प्राधिकरण ने ऐसे मामलों में पूर्व में प्रचलित वर्तमान दर पर लगने वाले विलंब शुल्क को हटाकर लीज प्रीमियम दरों पर दो प्रतिशत प्रति वर्ग मीटर प्रत्येक वर्ष आवंटन तिथि से आवेदन करने की तिथि तक 10 प्रतिशत साधारण ब्याज से रजिस्ट्री कराने की सुविधा दी गई है। इस सुविधा का लाभ आवंटी 31 दिसंबर 2023 तक निवेश मित्र के माध्यम से प्राधिकरण की रजिस्ट्री ऑनलाइन सर्विस से उठा सकेंगे। यह फैसला प्राधिकरण बोर्ड की 43 वीं बोर्ड बैठक में लिया गया।
विवादित भूखंडों पर भौतिक कब्जे के लिए बनाई नई नीति
ऐसे भूखंड जिन पर विवाद के कारण ईकाई स्थापित करना संभव नहीं हो पाया है, वहां भौतिक कब्जे की अवधि का समय विस्तार किया जाएगा। ऐसे आवंटी जिन्होंने विद्युत की आपूर्ति की समस्या, ट्रेसिंग की अनुपलब्धता, अतिक्रमण आदि कारणों से इकाई स्थापित नहीं कर सके हैं। उनके लिए भौतिक कब्जे की अवधि का, प्राधिकरण समय विस्तारित करेगा। एसआईटी जांच और विधिक आदि से संबंधित समस्याओं के कारण प्रक्रिया देरी से पूर्ण हो पायी और भूखंड का उपयोग बिलंब से हुआ उन्हें भी सुविधा का लाभ मिलेगा।
प्राधिकरण के क्षेत्रीय कार्यालयों और लखनपुर स्थित मुख्यालय में ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। भवन मानचित्र और संविलियन की समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद भी अगर किसी भूखंड पर मानचित्र व संविलियन की स्वीकृति में देरी हुई तो प्रकरण प्राधिकरण स्तर पर अप्रूवल की तिथि तक शून्य अवधि माना जाएगा।
समिति में शामिल अधिकारी
संबंधित क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक अथवा परियोजना अधिकारी, लेखाधिकारी, एवं मानचित्र सहायक या सहायक प्रबंधक सिविल की समिति बनाई जाएगी। समिति के माध्यम से ही नियमानुसार प्रकरण निस्तारित किए जाएंगे। सीईओ ने प्रकरण निस्तारण में अनावश्यक देरी करने पर संबंधित अधिकारियों का उत्तरदायित्व भी निर्धारित करने का निर्णय लिया है।
हमारा मकसद आवंटियों को अच्छी सुविधाएं और राहत देना है। ताकि उन्हें इकाई चलाने में किसी तरह की समस्या न हो। आवंटियों से अपील है कि अब वे निर्धारित समय सीमा के अंदर जरूरी प्रक्रिया पूरी कर भूखंड की रजिस्ट्री करा लें। विवादित भूखंडों पर भौतिक कब्जे से जुड़ी प्रक्रिया भी पूरी करा लें।– मयूर माहेश्वरी, सीईओ यूपीसीडा
