प्रयागराज : कारण बताओ नोटिस का उद्देश्य प्रस्तावित आरोपों के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज करने का अवसर

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जीएसटी के मामले में कहा कि कारण बताओ नोटिस में मामले का वह आधार शामिल होना चाहिए, जिस पर कार्यवाही चल रही हो। यदि कारण बताओ नोटिस पर्याप्त है तो निर्धारिती के पास संबंधित अधिकारियों के समक्ष आपत्तियां दाखिल करने का उपाय होगा।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने मैसर्स अभय ट्रेडर्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कारण बताओ नोटिस जारी करते समय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की दो प्राथमिक आवश्यकताओं का पालन किया जाना चाहिए, जिसमें सर्वप्रथम नोटिस में वह आधार या सामग्री शामिल होनी चाहिए, जो विभाग के अनुसार कार्यवाही के लिए आवश्यक है और दूसरा नोटिस में उस जुर्माने या कार्यवाही का भी जिक्र होना चाहिए, जो प्रस्तावित है।

दरअसल याची को उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 74 के तहत इस आधार पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया कि याची द्वारा जालौन में एक फर्जी फर्म से दिखाई गई खरीद के आधार पर गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त किया गया था। याची को यह कारण बताना था कि उस पर कर और जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए।

याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कारण बताओ नोटिस अस्पष्ट और कानून की दृष्टि से गलत है। इस पर विभाग के अधिवक्ता ने कहा कि कार्यवाही अभी शुरू नहीं हुई है। केवल एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिस पर याची के पास जवाब/आपत्तियां दाखिल करने का विकल्प है। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि कारण बताओ नोटिस के अनुसरण में कार्यवाही तभी शुरू हो सकती है, जब संबंधित अधिकारी को यह स्पष्ट हो कि कर के भुगतान में गड़बड़ी व धोखाधड़ी की गई है।

अंत में कोर्ट ने कहा कि वर्तमान कारण बताओ नोटिस में इसे जारी करने के लिए सभी आवश्यक विवरण और आधार शामिल हैं। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इसे केवल इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है कि याची से केवल आरोप के गुण-दोष के आधार पर जवाब मांगने के बजाय उस पर कर और जुर्माना क्यों ना लगाया जाए, इसका कारण बताने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने याची को एक महीने की अवधि के भीतर विवादित लेनदेन के साक्ष्य के साथ संबंधित अधिकारियों के समक्ष आपत्तियां प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए याचिका का निस्तारण किया।

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