बरेली: डिप्टी कलेक्टर उदित की SDM पद पर पहली तैनाती में लगा दाग, DM कर रहे जांच...जानें मामला

केबिन में ग्रामीण को मुर्गा बनाने के प्रकरण की जांच करा रहे हैं जिलाधिकारी

बरेली: डिप्टी कलेक्टर उदित की SDM पद पर पहली तैनाती में लगा दाग, DM कर रहे जांच...जानें मामला

बरेली, अमृत विचार। डिप्टी कलेक्टर उदित पंवार की एक लापरवाही ने उनकी सर्विस पर ऐसा दाग लगा दिया कि उन्हें एसडीएम पद पर तैनाती के दौरान चर्चा में लाता रहेगा। बरेली में ट्रेनिंग अवधि पूरी करने के बाद उन्हें एसडीएम पद पर पहली पोस्टिंग मीरगंज में मिली थी, मगर केबिन में ग्रामीण को मुर्गा बनने के वायरल वीडियो ने उन्हें विवादों में ला दिया। शुक्रवार को यह प्रकरण सामने आया था। प्रशासनिक अधिकारी कह रहे हैं कि एसडीएम ने ग्रामीण को मुर्गा बनाया या ग्रामीण स्वयं ही एसडीएम की टेबिल के पास जाकर मुर्गा बना, इसकी सच्चाई जांच के बाद सामने आएगी।

यह भी पढ़ें- घरों में पानी का कनेक्शन नहीं हुआ तो उसे करवाएं बीडीओ- डीएम शिवाकांत द्विवेदी

प्रकरण में डीएम के निर्देश पर मामले की जांच कराई जा रही है। जांच के दौरान एसडीएम केबिन में मौजूद ग्रामीणों के बयान, शिकायतकर्ता के बयान और वीडियो बनाने वाले के भी बयान दर्ज किए जाएंगे। अधिकारी केबिन में मुर्गा बनने के दौरान वीडियो बनाने और तहसील गेट के बाहर मीडिया को तुरंत एसडीएम के खिलाफ बाइट देने तक का सच जांच में सामने आने की बात कह रहे हैं।

वहीं, डिप्टी कलेक्टर उदित पंवार ने भी अपनी बात वीडियो के जरिए रखते हुए कहा कि मंडनपुर गांव से छह लोग आए थे। उनमें से एक आकर सीधे मुर्गा बन गया और जब तक वह उसे उठाते तब तक गेट पर ग्रामीणों के साथ खड़ा व्यक्ति वीडियो बनाकर वहां से चल गया।

अखिलेश ने ग्रामीण को मुर्गा बनाने का वीडियो ट्विट कर सरकार को घेरा
पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एसडीएम मीरगंज रहे उदित पवार के ग्रामीण को मुर्गा बनाने के वायरल वीडियो को अपने ट्विटर हैंडल से ट्विट किया है। उन्होंने वीडियो ट्विट कर लिखा है कि ये है उप्र में एकाधिकारी शासन के अंतर्गत निरंकुश नौकरशाही का असली चेहरा और उप्र के कमजाेर-निर्बल लोगों के ऊपर किए जा रहे आधिकारिक-सरकारी अत्याचार की एक सच्ची तस्वीर।

लिखा है कि सरकार स्वत: संज्ञान लेकर अधिकारी को निलंबित करके जांच बैठाए या फिर न्यायालय इसका स्वत: संज्ञान ले। अखिलेश ने तंज भी कसते हुए कहा है कि अधिकारी को किसी फरियादी को मुर्गा बनाने से पहले उसके पहने ‘रंग’ पर तो ध्यान देना चाहिए था। कहीं भाजपा सरकार ‘रंग विशेष’ का अपमान करने पर यह ‘अति विशिष्ट दंडात्मक शारीरिक मुद्रा’ अधिकारी से ही न बनवा दे।

10 साल पहले भी ग्रामीण बना मुर्गा, तब भी हटे थे एसडीएम
करीब दस वर्ष पूर्व एसडीएम और तहसीलदार समाधान दिवस में शिकायतें सुन रहे थे। उसी दौरान एक फरियादी आया और आते ही मुर्गा बन गया था। मामले में एसडीएम का ट्रांसफर हुआ था। मुर्गा बनने वाला ये दूसरा मामला हुआ है, जिसमें एसडीएम का ट्रांसफर हुआ है।

यह भी पढ़ें- बरेली: निलंबित सचिव पर तीसरी चोट अभी बाकी, पुलिस ने शुरू की गिरफ्तार करने की तैयारी