विश्व सांकेतिक भाषा दिवस आज, ऑटिज्म के शिकार बच्चों का जीवन संवार रही सांकेतिक भाषा
बच्चों को सांकेतिक भाषा सिखाने में अहम योगदान देता है जीवनधारा स्पेशल विद्यालय
बरेली, अमृत विचार। बोलने और सुनने में अक्षम बच्चों के जीवन में जीवनधारा स्पेशल विद्यालय रंग भरने में लगा है। ऑटिज्म के शिकार इन बच्चों को विद्यालय सांकेतिक भाषा सिखाता ताकि वह भी अपनी बात कह सकें। इन बच्चों के उपचार में संगीत का भी अहम योगदान होता है। इस विद्यालय के डायरेक्टर इकराम ने बताया कि 23 सितंबर को विश्व सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। बोलने और सुनने में अक्षम लोग अपनी बात कहने के लिए हाथों और उंगलियों की विभिन्न मुद्राओं के संकेतों का इस्तेमाल करते हैं, इसे ही सांकेतिक भाषा कहते हैं।
शहर में करीब 300 से अधिक बच्चे ऑटिज्म के शिकार हैं। जिन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इकराम ने बताया कि ऑटिज्म का प्रभाव मस्तिष्क के सूचना संकलन पर पड़ता है। इससे ग्रसित व्यक्ति सही ढंग से देखने, सुनने, समझने और महसूस करने में अक्षम होते हैं। जीवनधारा में बच्चों की पहले काउंसलिंग होती है, इसमें बच्चों का आईक्यू लेवल पता किया जाता है, उसी हिसाब से इन बच्चों को एक क्लास में रखा जाता है। इस समय जीवनधारा में 65 बच्चे हैं। इनकी देखरेख के लिए 16 लोगों का स्टाफ है।
परिवार नियोजन से पहले करे काउंसिलिंग
इकराम ने बताया कि परिवार नियोजन से पहले दंपती को एक बार काउंसलिंग करनी चाहिए, इससे पता चलता कि वह दोनों माता-पिता बनने को तैयार हैं या नहीं। क्योंकि जब माता-पिता बनने के लिए तैयार न होने बच्चा करते है तो उसका असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। साथ ही गर्भावस्था के शुरू के तीन महीने तक महिला का खास ख्याल रखना चाहिए।
ऑटिज्म के लक्षण
- साधारण या सामान्य अध्यापन प्रणाली से न सीख पाना।
- अनुचित ढंग से हंसते रहना।
- काम करने में पूर्ण समर्थता, लेकिन समाज मूलक काम करने में असमर्थ।
- शब्दों और वाक्यांशों को दोहराना
- वस्तुओं को घुमाना और चक्कर देकर आनंदित होना।
- दर्द के प्रति कम संवेदनशीलता होना।
- अटपटे व्यवहार, हाथ थपथपाना, शरीर को उछालना और हिलाते रहना।
- अलग ढंग से रहना या अपने में खोए रहना।
- जुबान से कम बोलना, आंखों से ही जवाब देना।
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