अभी बेड खाली नहीं, कहीं और ले जाओ...., बलरामपुर अस्पताल में गंभीर मरीजों को भी नहीं मिल पा रहा इलाज

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

लखनऊ, अमृत विचार। केस-1 : राजाजीपुरम निवासी रिधिमा शुक्ला (24) को तीन-चार दिनों से बुखार आ रहा था। आराम न मिलने पर परिजनों ने जांच कराई तो प्लेटलेट्स काउंट महज 7000 था। इस पर परिजन शनिवार को उसे लेकर बलरामपुर अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने बेड खाली न होने का हवाला देकर दूसरे अस्पताल ले जाने को कहा। परिजनों के काफी मान मनौवल के बाद उसे स्ट्रेचर पर ही डॉक्टरों ने देखा।

cats001124
ई-रिक्शा में मरीज इंदु तिवारी

 

केस- 2 : दुबग्गा निवासी इंदु तिवारी (18) की जांच में 36 हजार प्लेटलेट्स बची हैं। परिजन उसे लेकर ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय गए। जहां से उसे बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया। परिजन शनिवार सुबह करीब 11 बजे ई-रिक्शा से लेकर बलरामपुर पहुंचे। यहां बेड खाली न होने का दू टूक जवाब दिया गया। परिजन दोपहर तीन बजे तक इमरजेंसी के बाहर बेड खाली होने का इंतजार करते रहे।

cats001125
व्हीलचेयर पर रिधिमा शुक्ला

 

केस- 3 : सीतापुर के रहने वाले शिव शंकर (42) को बुखार आने पर जिला अस्पताल में दिखाया गया था। यहां से उन्हें केजीएमयू रेफर किया गया। परिजनों का कहना है कि केजीएमयू से उन्हें बेड खाली न होने का हवाला देकर बलरामपुर भेज दिया। यहां भी बेड खाली न होने की बात कहकर लोहिया संस्थान भेजा जा रहा है।

ये तीन केस महज बानगी भर के लिए हैं। जबकि ऐसे ही मामले शहर के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों रोज देखने को मिल रहे हैं। गंभीर मरीजों को भर्ती कराने के लिए तीमारदारों को जद्दोजहद उठानी पड़ रही है। शनिवार को बलरामपुर अस्पताल से कई मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा।

मौसम में परिवर्तन होने के बाद इन दिनों डेंगू व वायरल बुखार के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। राजधानी के सरकारी अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं। हालात यह हैं कि अति गंभीर मरीजों को भर्ती कराने में परिजनों को जद्दोजहद उठानी पड़ रही है।

बलरामपुर अस्पताल में कुल 750 बेड हैं। यहां की  ओपीडी में भी इन दिनों मरीजों की संख्या सात हजार से अधिक आ रही है। जिसमें से दो हजार मरीज डेंगू, मलेरिया व वायरल बुखार वाले हैं। करीब 200 मरीज रोजाना भर्ती करने पड़ रहे हैं।

इसके अलावा अन्य अस्पतालों से भी गंभीर मरीज रेफर किए जा रहे हैं। हालात यह है कि एक बेड पर दो मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है। नतीजन कई मरीजों को बिना इलाज के ही लौटाया जा रहा है। शनिवार को ऐसे ही कई मरीजों को बेड खाली न होने का हवाला देकर दूसरे अस्पताल जाने की सलाह दी गई।

मरीजों का लोड अधिक है और बेडों की संख्या सीमित है। इसलिए दूसरे अस्पताल में भी भर्ती के लिए कहा जा रहा है, लेकिन किसी गंभीर मरीज को वापस नहीं लौटाने के निर्देश है। डॉ. अतुल मेहरोत्रा, सीएमएस, बलरामपुर अस्पताल)

यह भी पढ़ें:-डॉ. घनश्याम तिवारी हत्याकांड: गम, आक्रोश और संवेदना के बीच ब्राह्मणों ने भरी हुंकार, हत्यारोपियों के परिवार का किया सामाजिक बहिष्कार

संबंधित समाचार