जाणता राजा महानाट्य का महामंचन आज से, कानपुर के बाद लखनऊ में व फिर वाराणसी में खेला जाएगा

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में जाणता राजा महानाट्य का महामंचन आज से मंचन होगा।

कानपुर में जाणता राजा महानाट्य का महामंचन आज से मंचन होगा। जीवंत हाथी, घोड़ा, बैलगाड़ी आपको मुगलकाल में ले जाएंगे। कानपुर के बाद लखनऊ में व फिर वाराणसी में खेला जाएगा।

कानपुर, अमृत विचार। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित विश्व का सबसे बड़ा महानाट्य जाणता राजा का मंचन कानपुर में एक अक्टूबर से सात अक्टूबर तक शाम 6 बजे से 9 बजे तक होगा। सीएसए कृषि विश्वविद्यालय के मैदान में इसका मंचन होगा। जाणता राजा का अर्थ बुद्धिमान राजा है। 2018 में जाणता राजा का महामंचन कानपुर में हो चुका है। मंचन दूसरी बार हो रहा है। कानपुर के बाद 26 अक्टूबर से लखनऊ के जनेश्वर मिश्रा पार्क में जाणता राजा का मंचन होगा, इसके बाद काशी में मंचन होगा। 

पद्मभूषण बाबा साहब पुरंदरे ने वीर सावरकर से प्रभावित होकर इस नाटक का मंचन शुरू किया था। इस महानाट्य में पुणे से 150 कलाकार और कानपुर के करीब 250 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। बीएनएसडी शिक्षा निकेतन और दीनदयाल उपाध्याय विद्यालय में रिहर्सल हो रहा है। खास बात यह है कि नाटक में जीवंत हाथी, घोड़े, ऊंट भी शामिल होंगे।

जाणता राजा महानाट्य आयोजत समिति के अध्यक्ष डा.उमेश पालीवाल और महामंत्री नीतू सिंह ने बताया कि नौ हजार लोग एक साथ महानाट्य देख सकेंगे। इसका महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि शिवाजी के राज्याभिषेक के साढ़े तीन वर्ष होने वाले हैं। महानाट्य को देखने वालों के लिए 200 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक के टिकट हैं। इससे प्राप्त धन रावतपुर में रामलला आरोग्यधाम निर्माण में खर्च होगा।

डॉ उमेश पालीवाल ने बताया कि छत्रपति शिवाजी ने हिंदी स्वराज की स्थापना स्वतंत्रता और संघर्ष करने के लिए मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। उल्लेखनीय बात यह है कि यह स्थापना तब की गई थी जब मुगल शासकों के खिलाफ कोई चूं तक नहीं करता था। सनातन धर्म के व्यापक प्रचार-प्रसार और इसे व्यवहार में लाने के लिए मराठा साम्राज्य का महती योगदान है जिसके लिए देश कभी भी शिवाजी को नहीं भूल सकता है।

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