जमीनों के विवाद: जानें कब बरेली में भी देवरिया जैसा कांड हो जाए?

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Published By Vishal Singh
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एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की अदालतों में सालों से लंबित हैं सैकड़ों मामले

अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। देवरिया में छह लोगों की हत्या की घटना का साफ इशारा है कि जमीन के विवाद किस हद तक पहुंच सकते हैं। बरेली में भी ऐसे विवादों की भरमार है। जमीन के झगड़े में कटरी में तीन लोगों की हत्या की घटना भी ज्यादा पुरानी बात नहीं है। एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की अदालतों में सैकड़ों विवाद लंबित हैं, इनमें तमाम कई-कई साल पुराने हैं। फरियादों के जवाब में पीड़ितों को तारीखें मिल रही हैं और कोई फैसला न होने से रंजिश के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। देवरिया की घटना के बाद अब राज्य सरकार ने अभियान चलाकर दो महीने के अंदर जमीन के सारे लंबित विवादों को निपटाने का आदेश जारी किया है जिसके बाद अफसरों के बीच कागजी घोड़े दौड़ने शुरू हो गए हैं। राजस्व अदालतों की पुरानी व्यवस्था यह भी जता रही है कि लंबित विवादों को दो महीने में निपटा देना इतना आसान नहीं है।

पैमाइश: सर्वाधिक लंबित मामले सदर तहसील में
धारा 24 (जमीन की पैमाइश) के लंबित मामलों में सदर तहसील की स्थिति सबसे खराब है। यहां 30 सितंबर तक दूसरी तहसीलों से कई गुना ज्यादा 459 मामले लंबित थे। बहेड़ी तहसील में 27, आंवला में 44, नवाबगंज में 90, फरीदपुर में 50, औरमीरगंज में 23 मामले लंबित हैं। सभी तहसीलों में तमाम केस समयसीमा गुजर जाने के बाद भी हल नहीं हो पाए हैं। सदर तहसील में धारा 38 (जमीन की शुद्धि-त्रुटि) के भी 69 मामले लंबित हैं।

धारा 80 : ये भी सर्वाधिक मामले सदर तहसील में
सदर तहसील में पैमाइश के मामलों के साथ धारा 80 यानी कृषि की जमीन को गैर कृषि में परिवर्तित करने के मामलों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। यहां 80 मामले लंबित हैं जबकि फरीदपुर तहसील में एक और बहेड़ी में सिर्फ दो मामले लंबित हैं।

बंटवारा : नवाबगंज तहसील की हालत सबसे खराब
जमीन के बंटवारे के लिए धारा 116 के तहत वाद दायर किया जाता है। इस मामले में नवाबगंज तहसील की सबसे ज्यादा स्थिति खराब है। यहां 339 केस लंबित हैं। सदर तहसील में 144, बहेड़ी में 257, आंवला में 218, फरीदपुर में 105 और मीरगंज तहसील में 170 मामले लंबित हैं।

दाखिल खारिज : आंवला में रिकॉर्डतोड़ 11 सौ केस
जमीनों के दाखिल-खारिज के मामलों में आंवला तहसील की स्थिति निराशाजनक है, सदर तहसील में सबसे कम मामले लटके हैं। आंवला में 11 सौ केस लंबित हैं। सदर तहसील में 354 हैं। दूसरे नंबर पर नवाबगंज तहसील है जहां 1048 मामले लटके हैं। फरीदपुर में एक हजार, मीरगंज में 918 और बहेड़ी में 457 मामले लंबित हैं। दाखिल-खारिज का केस निपटाने की समयसीमा 45 दिन है, लेकिन चार-पांच सालों के भी केस निस्तारित नहीं हो पाए हैं।

जमीन पर बेतहाशा कब्जे भी
जिले की कमान संभालने के बाद डीएम रविंद्र कुमार पिछले दिनों क्यारा ब्लॉक के एक गांव में समस्याएं सुनने पहुंचे थे जहां उनके सामने दस लोगों ने शिकायत की। इनमें सात मामले जमीनों पर कब्जे के थे। इस पर डीएम ने भी चिंता जताई।

संपूर्ण समाधान और थाना दिवस में बेतहाशा शिकायतें
संपूर्ण समाधान दिवस और थाना दिवस में आने वाली शिकायतों में भी सबसे ज्यादा मामले जमीन विवाद से संबंधित होती हैं। आंकड़ों के मुताबिक इनकी संख्या 60 से 65 फीसदी तक होती है।

जमीन के विवादों में तत्परता से कार्रवाई की जाती है। लंबित विवादों के निस्तारण के लिए अभियान चलाने का आदेश आया है। समाधान दिवस में आने वाली शिकायतों का मौके पर ही निपटारा कराने की कोशिश की जाती है-दिनेश, एडीएम प्रशासन।

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