पीलीभीत: 2015  के मुख्य बाजार में पहली बार गरजे अफसर, व्यापारी नेता फुस्स...जानिए मामला

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Published By Vikas Babu
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पीलीभीत , अमृत विचार। नाली और फुटपाथ कब्जा कर किए गए अतिक्रमण पर लंबे अरसे बाद कार्रवाई की गई। खास बात रही कि इस बार अभियान की शुरुआत मुख्य बाजार से की गई। प्रशासनिक अफसर सख्त लहजे में दिखाई दिए। पक्के अतिक्रमण को जेसीबी और हथौड़े से ध्वस्त कर दिया गया। कई बार व्यापारी नेताओं ने दबाव बनाने का प्रयास भी किया लेकिन अधिकारियों की सख्ती और भारी पुलिस पीएसी की मौजूदगी के चलते उन्हें बैकफुट पर आने में देर नहीं लगी।  कार्रवाई के दौरान मुख्य बाजार में हड़कंप मचा रहा।

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बता दें कि लंबे समय से शहर की मुख्य सड़कों पर अतिक्रमणकारी हावी थे। नगर पालिका, पुलिस प्रशासन एक दूसरे पर कार्रवाई टाल देता। वहीं, अभियान चले भी तो खोखे फड़ वालों को उजाड़ने तक सीमित रहे। आलम यह था कि दिन में कई बार जाम से जुझना पड़ता था। इसे लेकर प्रशासन और नगर पालिका के अधिकारियों ने रणनीति बनाई और सख्ती की गई। 

गुरुवार दोपहर दो बजे सिटी मजिस्ट्रेट सुनील कुमार, एसडीएम सदर /प्रभारी ईओ देवेंद्र कुमार, सीओ यातायात सुनील दत्त, कोतवाल नरेश त्यागी भारी प़ुलिस बल और पीएसी के साथ गैस चौराहा पर पहुंचे। इसके बाद नालियों के ऊपर किए गए अतिक्रमण को हटवाना शुरू कर दिया। नगर पालिका के कर्मचारी हाथ में हथौड़ा लिए साथ चले थे। अफसरों के इशारा करते ही अतिक्रमण ध्वस्त कर दिया गया।  

अभियान बीस कदम ही आगे बढ़ सका था कि एक व्यापारी नेआकर जेसीबी चालक द्वारा गाली दिए जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। मौके पर उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के जिलाध्यक्ष आफरोज जिलानी पहले से मौजूद थे।  इस पर उन्होंने नाराजगी जताई। इसे लेकर अफसरों से नोकझोंक हो गई। अंत में सिटी मजिस्ट्रेट ने इसकी जांच कराकर कार्रवाई का आश्वासन देकर शांत करा दिया। 

फिर एक व्यापारी ने गलत तरीके से तोड़फोड़ करने का आरोप लगा दिया। इसके बाद फिर हंगामा हुआ लेकिन एसडीएम ने मौके पर जाकर चेक किया तो पोल खुल गई।जिसके बाद कड़ी फटकार लगाई गई। कोतवाल ने भी बेवजह आरोप लगाने वालों को चेतावनी दी। जिसके बाद सभी बैकफुट पर आ गए। कई दुकानों के आगे पक्के निर्माण को तोड़ते हुए टीम आगे बढ़ती गई। 

एक दुकान के बाहर चबूतरा तोड़े जाने पर एक अन्य व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता व उनकी टीम ने नाराजगी जताई। मगर सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम के आगे चल न सकी।  अभियान ड्रमंडगंज चौराहा तक चला और कहीं जेसीबी ने अतिक्रमण ध्वस्त किया तो कहीं जेसीबी गरजी। दुकानों के बाहर बेतरतीब खड़े वाहनों के भी चालान किए गए।

..जब स्लैप पर लेट गई महिला
मुख्य बाजार में एक महिला की दुकान के आगे अतिक्रमण था। अफसरों ने तोड़ने के निर्देश दिए तो महिला उस पर बैठ गई और समझाने के बाद भी नहीं हट रही थी। काफी देर समझाने के बाद भी न मानने पर अधिकारियों ने महिला पुलिस बुलाने के निर्देश दिए। जिसके बाद महिला के परिजन ने उसे हटाया और फिर तोड़फोड़ कर दी गई। तब जाकर मामला शांत हो सका।

निर्माणाधीन दुकान का मलबा रख घेरी सड़क
चावला चौराहा पर पहुंचते ही टीम ने देखा कि एक दुकान में निर्माण कार्य चल रहा था। उससे निकला मलबा आधी  सड़क घेरकर रख दिया गया था। इसे देख सिटी मजिस्ट्रेट और एसडीएम गुस्सा गए। मलबे को जब्त करने के लिए कर्मचारी लगा दिए। जिसके बाद दुकान स्वामी ने आकर आपत्ति जताई, लेकिन अफसरों ने फटकार लगा दी। जिसके बाद मलबे को ना हटवाने पर कार्रवाई के निर्देश दिए।

नालियां ही पक्का निर्माण कराकर कर दी गायब
शहर में सबसे बड़ी समस्या जलभराव की रहती है। बारिश होने पर मुख्य बाजार में कई फीट तक पानी भरा रहता है। निकाय चुनाव में यह मुद्दा भी बना था। इस अभियान में छीपियान चौराहा के पास पहुंचते ही कई दुकानों के आगे नालियां ही गायब थी। दरअसल, पक्का निर्माण कराकर नाली को पाट दिया गया था। इसे मौके पर ही तुड़वाया गया। इसके बाद एक शॉपिंग काम्पलेक्स के पास तो पूरी नाली ही गायब थी। 

अफसरों ने तुड़वाने के निर्देश दे दिए। टीम भी हथौड़ा लेकर तोड़ने बढ़ी। इसी बीच वहां के दुकानदार आए और अपनी बात रखी। एक ने एक जनप्रतिनिधि से भी बात बताई। इसके बाद अफसरों ने दो दिन के भीतर नाली के ऊपर किए गए अतिक्रमण को हटवाने का समय दिया। साफ कहा कि इसके बाद नगर पालिका की टीम कार्रवाई करेगी।

पुलिस करती दिखी खुद का बचाव
इस पूरे अभियान में भारी पुलिस साथ रहा। मगर कही न कही व्यापारियों के विरोध से बचने के लिए खुद का बचाव करने पर विशेष ध्यान दिया गया। ताकि कहीं अतिक्रमण अभियान की कार्रवाई के बाद गुस्सा कोई वारदात होने के बाद पुलिस के विरोध के रुप में न सामने आ जाए। शायद यही वजह रही कि कार्रवाई के दौरान कई बार प्रशासनिक अधिकारी पुलिस को आवाज देकर बुलाते नजर आए। पुलिस बाद में मौके पर गई भी लेकिन चुप्पी साधकर खड़ी दिखी। इसे लेकर मामला चर्चा का विषय बना रहा।

2015 के अभियान की दिलाई याद
बता दें कि अतिक्रमण अभियान कई बार चला, लेकिन मुख्य बाजार में नहीं पहुंच सका। पहुंचा भी तो उतनी सख्ती नहीं दिखी। वर्ष 2015 में जरुर तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट जितेंद्र शर्मा की अगुवाई चले अभियान में अवैध दुकानें तक ध्वस्त करा दी गई थी। उस अभियान के बाद अब गुरुवार को सिटी मजिस्ट्रेट और एसडीएम की सख्ती के बाद कार्रवाई हुई तो लोग इसे आठ साल पूर्व के अभियान को लेकर ही चर्चाएं करते नजर आए।

अफसर खुद स्वीकारते रहे नहीं होती पैदल निकलने की जगह
शहर की मुख्य सड़कों पर लगने वाले जाम को लेकर भले कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाए जा सके हो। मगर अतिक्रमण अभियान के दौरान नाले नालियां छोड़िए फुटपाथ से लेकर आधी सड़क तक अव्यवस्था दिखी तो अधिकारियों ने भी स्वीकारा कि इन रास्तों पर अतिक्रमण के चलते पैदल निकलने की भी जगह नहीं रहती है।  कई दुकानों पर कार्रवाई के दौरान भी अफसर ये बात करते रहे। दुकानों के ऊपर लगाए गए लोहे के एंगल भी ध्वस्त किए गए।

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