एससी/एसटी और पोक्सो के तहत अपराध होने पर आरोपी पोक्सो अधिनियम की प्रक्रिया के अनुसार जमानत का हकदार

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शिक्षक द्वारा मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज में शिक्षक अपने विद्यार्थियों के भविष्य को आकार देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस तरह के कुकृत्य से निश्चित रूप से समाज के लोगों के मन में असुरक्षा का भाव पैदा होगा।

ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए और पीड़ित पक्ष को न्याय मिलना चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सके। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने दीपक प्रकाश सिंह उर्फ दीपक सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया है। 

दरअसल याची के खिलाफ आईपीसी, पॉक्सो और एससी/एसटी एक्ट के तहत एक 14 वर्षीय मानसिक रूप से कमजोर लड़की से दुष्कर्म करने का गंभीर आरोप लगाया गया था और प्राथमिकी पीड़िता के पिता द्वारा थाना जाफराबाद, जिला जौनपुर में दर्ज कराई गई थी। कोर्ट ने अपने आदेश में मुख्य रूप से सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पोक्सो एक्ट का प्रावधान एससी-एसटी एक्ट पर लागू होगा और जब भी एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों के साथ पोक्सो एक्ट का कोई अपराध होगा तो आरोपी जमानत के लिए पोक्सो एक्ट के तहत अपेक्षित प्रक्रिया का सहारा लेने का हकदार होगा। 

दरसल बहस के दौरान सरकारी अधिवक्ता और पीड़िता के अधिवक्ता द्वारा यह आपत्ति उठाई गई थी कि एससी/एसटी एक्ट की धारा 18 और 18ए के तहत वर्तमान याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि याची के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध का भी आरोप है। कोर्ट ने विपक्षियों के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि जहां एससी/एसटी एक्ट विशेष रूप से आरोपी को अग्रिम जमानत देने पर रोक लगाती है वहीं दूसरी तरफ पोक्सो एक्ट के तहत ऐसी कोई रोक मौजूद नहीं है। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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