बरेली : यहां बरसती है मां काली की कृपा, मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना
बरेली, अमृत विचार। वहीं आज नवरात्र के सातवें दिन भी सुबह से ही मां काली मंदिर के बाहर भक्तों की जमकर भीड़ रही। दूर-दराज से आए भक्तों ने मां के दर्शन किए और पूजा-अर्चना कर मां का आशीर्वाद लिया। मान्यता है कि यहां दर्शन-पूजन से मां काली की कृपा भक्तों पर बरसती है और उनकी सभी की मुरादें पूरी करती हैं।
मां काली देवी मंदिर का इतिहास
मां काली देवी मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो 250 से भी अधिक वर्ष पहले यहां गोबर की बनी प्रतिमा की पूजा होती थी। बताया जाता है कि एक बंगाली बाबा को मां काली देवी ने सपने में दर्शन दिए थे और मंदिर का निर्माण कराकर मां काली देवी की मूर्ति की स्थापना कराने को कहा था। इसके बाद बंगाली बाबा ने लोगों के सहयोग से मंदिर बनवाकर मां काली देवी की प्रतिमा स्थापित की और बाद में यहां भव्य काली मंदिर का निर्माण हुआ।
मां काली देवी के इस मंदिर में मन्नत का धागा बांधने की भी प्राचीन परंपरा है। यहां पर भक्त कच्चे धागे और चुनरी से गांठ बांधकर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर इस गांठ को खोल देते हैं।
कैसे नाम पड़ा 'कालीबाड़ी'
मंदिर के पुजारी रूप किशोर ने बताया कि जब यहां माता को विराजमान किया गया तो उसके बाद से इस जगह का नाम कालीबाड़ी पड़ गया। अब बरेली ही नहीं हर जगह कालीबाड़ी नाम से यह इलाका प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया की आज भी मन्दिर के पीछे वाले हिस्से में माता रानी की मूर्ति रखी हुई है।
आस्था का केंद्र मां काली देवी मंदिर
मंदिर के पुजारी रूप किशोर का कहना है कि इस मंदिर की भक्तों पर अपार महिमा है। यहां माता रानी सभी भक्तों पर विशेष कृपा करती हैं। जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता हैं वो जरूर पूरी होती है। हर शनिवार को बरेली के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं और माता के दर्शन करते हैं।
कालीबाड़ी स्थित मां काली देवी का मंदिर सालों से लोगों की आस्था का केंद्र बना है। नवरात्र मे यहां की रौनक अलग ही देखने को मिलती है। दूर-दूर से लोग माता काली का आशीर्वाद लेने आते हैं। शारदीय नवरात्र पर इस मंदिर को फूलों और पत्तियों से सजाया गया है। साथ ही उन्होंने बताया यहां सुबह और शाम को माता की आरती होगी और 27 अक्टूबर को भव्य पूजन का आयोजन किया जाएगा।
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