कृष्णा हास्पिटल: 4 लाख रुपये वसूलने के बाद महिला की मौत, शव के बदले मांगे 50 हजार तो परिजनों ने किया हंगामा
शाहजहांपुर, अमृत विचार। शाहजहांपुर के प्राइवेट अस्पताल में एक महिला की मौत के बाद तीमारदारों ने जमकर हंगामा किया। आरोप है कि पांच दिन में इलाज के दौरान डाक्टर ने चार लाख रुपये लिए। दो दिन से मरीज से मिलने भी नहीं दिया। मरीज की मौत के बाद भी शव देने के बदले डाक्टर 50 हजार रुपये मांग रहे हैं।
रुपये नही देने पर डाक्टर शव देने से इंकार कर रहे हैं। हंगामा बढ़ता देख तीमारदारों ने स्थानीय पार्षद को सूचना दी। उसके बाद डाक्टर ने तीमारदारों को शव दिया। परिजनों का कहना है कि, इस अस्पताल में इलाज के नाम पर वसूली हो रही है। मरीज को डेंगू बताकर डराया गया।
उनका कहना है कि इसकी शिकायत स्वास्थ मंत्री और वित्त मंत्री से कर कार्रवाई की मांग करेंगे। चौक कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला मेहमानशाह निवासी प्रदीप कुमार नगर निगम में सफाई कर्मी हैं। उनकी 33 साल की पत्नी संगीता को बुखार आने पर अजीजगंज स्थित कृष्णा नर्सिंग होम में भर्ती कराया था।
अस्पताल में उनकी जांचे कराई गईं तो डाक्टर ने संगीता को डेंगू होने की पुष्टि की। उसके बाद इलाज के नाम पर उनको आईसीयू में भर्ती किया गया। बीमारी का डर दिखाकर परिवार से डाक्टर ने छह दिन के दौरान चार लाख रुपये ले लिए। परिजनों ने बताया कि उसका पति सिर्फ सफाई कर्मी है।
इलाज के लिए उसने दो लाख रुपये का कर्ज भी लिया था। दो दिन से मरीज से मिलने भी नही दिया। परिजनों ने बताया कि रविवार को अचानक कहे दिया कि संगीता की मौत हो गई। उसके बाद परिजनों ने जब संगीता का शव मांगा तो डॉक्टर ने शव देने से इंकार कर दिया। आरोप है कि डॉक्टर शव देने के बदले भी 50 हजार रुपये मांगने लगे। नहीं देने पर शव भी देने से इंकार कर दिया। उसके बाद परिजनों ने अस्पताल के अंदर हंगामा करना शुरू कर दिया।
पार्षद के दखल देने के बाद दिया शव
इस दौरान अस्पताल के कर्मचारियों ने तीमारदारों के साथ अभद्रता की। उसके बाद स्थानीय पार्षद को सूचना दी गई। पार्षद के दखल देने के बाद जैसे तैसे तीमारदारों को शव दिया गया। परिजनों का आरोप है कि बीमारी का डर दिखाकर ऐसे अस्पतालों में मरीजों को लूटा जा रहा है। शव देखने से लग रहा है कि उसकी दो दिन पहले ही मौत हो चुकी है।
डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत हुई है। उनका कहना है कि अस्पताल प्रशासन और डाक्टरों की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही वित्त मंत्री सुरेश खन्ना से भी करेंगे। परिजनों ने कार्रवाई की मांग की है।
मामले की जानकारी नहीं है। शिकायत आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। आखिर मरीज प्राइवेट अस्पताल जा ही क्यों रहे हैं। जबकि उनका सरकारी अस्पतालों में इलाज हो सकता है। सरकारी अस्पताल में इलाज कराना बेहतर विकल्प है---डॉ. आरके गौतम, सीएमओ।
मरीज संगीता पत्नी प्रदीप कुमार को 19 अक्टूबर को अस्पताल में लाया गया था। मरीज को सेप्टीसीमिया, निमोनिया और अनकंट्रोल्ड डायबिटीज के साथ ही डेंगू के लक्षण पाए गए थे। मरीज के परिवार वालों को क्रिटिकल केस की बाबत सबकुछ बताया था। उसके बाद मरीज को वेंटिलेटर में रखकर समुचित इलाज किया गया।
चार-पांच दिनों में चार लाख रुपये ले लेने का आरोप पूरी तरह निराधार और बेबुनियाद है। 35-40 हजार रुपये का बिल बना, लेकिन सिर्फ 30 हजार रुपये ही जमा किए गए। मृत्यु के बाद भी रुपये मांगने का आरोप गलत है---डॉ. प्रतीक रस्तोगी, डायरेक्टर- कृष्णा हास्पिटल।
आए दिन जा रही जानें, गंभीर आरोपों से घिर रहे धरती के भगवान
जिले में आए दिन लोगों की इलाज के दौरान मौत हो जाती है। कई मामलों में परिजन धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करते हैं। कई मामलों में परिजनों का आरोप होता है कि डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ ने लापरवाही की। जिसके चलते मरीज की जान गई।
बीते एक साल के दौरान ही ऐसे तमाम मामले सामने आए जिनमें किसी ने अपनी पत्नी, किसी ने बेटे और किसी ने पिता को खो दिया। तमाम मामलों में डॉक्टरों पर आरोप लगाए गए कि उन्होंने लापरवाही की, लेकिन आश्चर्य की बात है कि एक-दो प्रकरणों को छोड़कर कभी किसी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कुछ मामलों में जांच की जाती है और कुछ मामलों में आरोपी डॉक्टर का पक्ष सुनकर ही जांचों को बंद कर दिया जाता है।
केस- 1
13 अक्टूबर को बंडा के मोहल्ला धर्मापुर निवासी सुरेंद्र कुमार राठौर की पत्नी राखी की मौत हो गई थी। मृत्यु से दो दिन पहले ही सुरेंद्र ने अपनी पत्नी राखी देवी को प्रसव पीड़ा होने पर बंडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। ऑपरेशन से महिला ने बच्चे को जन्म दिया। खून की कमी होने पर महिला को खून चढ़ाया जा रहा था, तभी उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। इसको लेकर परिजनों ने हंगामा किया था।
केस-2
25 अगस्त 2023 को बुखार से पीड़ित युवक की एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी। परिजनों ने झोलाछाप पर लापरवाही से इलाज करने का आरोप लगाते हुए उसके घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। युवक के पिता ने तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की थी। मदनापुर क्षेत्र के प्रतापपुर महिवरा गांव निवासी सौरभ को बुखार आ गया था। परिजन क्षेत्र के ही बुधवाना मार्ग स्थित एक दुकान पर ले गए थे। जहां तीन घंटे इलाज होने के बाद भी कोई लाभ मिलने के बजाय तबीयत बिगड़ती गई। देर रात परिजन महानगर के एक अस्पताल लेकर पहुंचे थे। अस्पताल में सौरभ की मौत हो गई थी।
केस-3
10 सितंबर 23 को निगोही थाना क्षेत्र के गांव रामनगर निवासी अजय की गर्भवती पत्नी सोनी व नवजात की मौत हो गई थी। परिजन ने एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। महिला का शव अस्पताल के गेट पर रख दिया था। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने परिजन को समझाकर शांत कराया। परिजनों का आरोप था कि रुपये जमा करने के बाद भी डॉक्टर ने संज्ञान नहीं लिया। अधिक देर होने के बाद शाहजहांपुर ले जाने की सलाह दी। रास्ते में जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। मृतका के मायके वाले शव लेकर अस्पताल गेट पर पहुंचे थे और हंगामा किया था।
केस-4
आठ जुलाई 2019 को जिला अस्पताल में बीमार महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। काफी देर तक अस्पताल में हंगामा चला था।
थाना सेहरामऊ दक्षिणी क्षेत्र के गांव नौसारा पसगवां निवासी बदन सिंह की 40 वर्षीय पत्नी सरोजनी देवी पीलिया से ग्रसित थीं। उनकी हालत बिगड़ने पर तीन दिन पहले परिजनों ने उनको जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। आठ जुलाई को सरोजनी की मौत हो गई थी। जिसको लेकर हंगामा किया गया था।
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