बरेली: नेता लोग वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने चले... कुत्तों-बंदरों ने और तेज कर दिए हमले

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Published By Vikas Babu
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पिछले साल की तुलना में तीन गुना बढ़े हमले, 80 हजार पहुंचा आंकड़ा, दो महीने बाकी

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अंकित चौहान, बरेली। इत्तफाक की बात है कि बरेली को स्मार्ट सिटी बनाते-बनाते जब से वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने की बातें शुरू हुईं, तभी से लोगों को कुत्तों ने ज्यादा काटना शुरू कर दिया। आधिकारिक तौर पर तो अभी यह साफ नहीं हुआ है कि वर्ल्ड क्लास सिटी में आवारा कुत्ते होंगे या नहीं, लेकिन एंटी रैबीज वैक्सीन सेंटर के आंकड़े यह जरूर बता रहे हैं कि शहर का स्मार्ट सिटी बनना और आगे वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने की घोषणा कुत्तों को ही नहीं, बिल्लियों और बंदरों को भी पसंद नहीं आई है। उन्होंने लोगों पर ज्यादा हमले शुरू कर दिए हैं। एक साल में ये हमले करीब तीन गुना तक पहुंच गए हैं।

शहर के चुनिंदा इलाकों में फैंसी लाइटों की रोशनी, कुछ चमचमाती सड़कें और अलग-अलग नाम की ऐसी इमारतें गवाही दे रही हैं कि बरेली स्मार्ट सिटी बन चुका है। स्मार्ट सिटी का ऐसा कोई प्रोजेक्ट तो घोषित नहीं हुआ लेकिन हर तरफ आवारा कुत्तों, बंदरों और गोवंशीय पशुओं की लगातार बढ़ती तादाद साफ तौर पर बता रही है कि वे भी स्मार्ट सिटी के स्थाई सदस्य बने रहेंगे।

चूंकि स्मार्ट शहर के बाद गांवों को भी स्मार्ट बनाया जाना है, लिहाजा वहां भी कुत्ते-बिल्लियों और बंदरों के हमलों की तादाद बढ़ी है। कुत्तों और बंदरों को पकड़ने के जो अभियान पहले बड़े पैमाने पर चलते थे, वे अब संक्षिप्त होकर गिनेचुने वीआईपी इलाकों के दायरे में कैद हो गए हैं।

बदलते बरेली में तीन सौ बेड अस्पताल में चल रहे एआरवी (एंटी रैबीज वैक्सीन) सेंटर का रिकॉर्ड बता रहा है कि इस साल जनवरी से अक्टूबर तक यानी 10 महीनों में ही 79047 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। पिछले साल यानी 2022 में यह आंकड़ा सिर्फ 29311 लोगों को वैक्सीन लगाने का था। इस साल के करीब दो महीने अभी बाकी हैं, लिहाजा तय है कि यह आंकड़ा वर्ष के अंत तक एक लाख के आसपास पहुंच जाएगा।

कुत्ते-बिल्ली और बंदर तीनों हुए और आक्रामक
एआरवी सेंटर के रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले साल यानी 2022 में कुत्तों के काटने के बाद 21473, बंदरों के हमले में घायल 6087 और बिल्ली के हमले के बाद 1353 लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी। इस साल जनवरी से अब तक कुत्तों के हमलों में घायल होने के बाद 59601 लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं। इसके अलावा बंदरों ने पिछले साल से तीन गुना ज्यादा लोगों पर हमला किया। ऐसे 16079 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। बिल्ली के हमलों में घायल होने के बाद 3367 लोगों को वैक्सीन लगी है।

पिछले साल रैबीज से 11 लोगों की हुई थी मौत
आईडीएसपी यूनिट के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में रैबीज से ग्रसित 11 मरीजों की मौत हुई थी। इस साल यह राहत की बात है कि अब तक रैबीज के कारण किसी व्यक्ति की जान नहीं गई है। तीन सौ बेड अस्पताल के एआरवी सेंटर के प्रभारी डॉ. वैभव शुक्ला के अनुसार सेंटर पर हर रोज 150 से 200 मरीजों को एंटी रैबीज वैक्सीन लगाई जा रही है। पिछले महीने वैक्सीन लगवाने आए लोगों की संख्या 270 तक पहुंच गई थी।

शहर के हर इलाके में कुत्ते और बंदरों की भरमार
भविष्य के वर्ल्ड क्लास सिटी में फिलहाल हर इलाके में लोग आवारा कुत्तों और बंदरों की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद काफी समय उन्हें पकड़ने के लिए कोई बड़ा अभियान चलाए जाने से साफ है कि नगर निगम ऐसे अभियानों के लिए जरूरी बजट को फालतू का खर्च मान लिया है। यही हाल नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों का भी है। हालांकि इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें इलाज पर पैसा फूंकना पड़ रहा है। शहर के ही बंडिया इलाके में कई बच्चों की आवारा कुत्ते जान ले चुके हैं।

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