बरेली: डूबी रकम मिलने की आस अधूरी, कभी लगी थीं कतारें...अब वेबसाइट के जरिए भी कर सकेंगे शिकायत

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार। तमाम फाइनेंस कंपनियों के झांसे में आकर लाखों लोगों की गाड़ी कमाई की डूबी गई, वहीं इस साल की शुरुआत में डूबी रकम मिलने की उम्मीद से निवेशकों की भीड़ कलेक्ट्रेट और तहसीलों पर अपने फॉर्म जमा करने के लिए उमड़ पड़ी थी। लोगों ने सुबह से शाम तक लाइनों में लगकर बड़ी उम्मीद के साथ अपने फॉर्म जमा किए।

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जिला प्रशासन ने डूबी रकम फाइनेंस कंपनियों की संपत्तियों को बेचकर लौटाने का आश्वासन दिया था। इस बात को गुजरे छह महीने से ज्यादा का समय हो गया है। लेकिन अभी तक लाखों निवेशकों की डूबी रकम पाने की आस अधूरी ही है। हालांकि लाइनों में लगने के बाद भी तमाम ऐसे लोग हैं जो अपना फॉर्म जमा करने से चूक गए। ऐसे निवेशकों के लिए शासन की ओर से एक बेवसाइट शुरू की गई है, जिसके माध्यम से निवेशक घर बैठे अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।  

शासन ने शुरू की वेबसाइट
जो निवेशक किसी कारण से अभी तक फॉर्म जमा नहीं पाए हैं। वह अब अपने घर बैठे भी फॉर्म को जमा कर सकते हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने वेबसाइट भी जारी की है। ऐसे आवेदक pidgr.in पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। हालांकि यह रकम कब मिलेगी, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।

लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा फॉर्म हुए जमा
जिस समय यह फार्म जमा हो रहे थे। उन दिनों कलेक्ट्रेट पर सुबह पांच बजे से लंबी कतारे लगना शुरू हो जाती थीं। उसके बाद सभी तहसीलों में फार्म जमा करने को कहा गया था। तीन महीने में लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा फॉर्म जमा हुए। अब यह फॉर्म रद्दी की तरह रखे हुए हैं। बताया जा रहा है कि फॉर्म की फीडिंग की जा रही है। लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता जा रहा है, निवेशकों को अपनी रकम वापस मिलने की उम्मीद खत्म होती नजर आ रही है।   

भूखे-प्यासे लंबी कतारों में लगे थे लोग 
जब लोगों को पता चला कि उनके कई फाइनेंस कंपनी में निवेश किए रुपये वापस मिल सकते हैं। उसके बाद फरवरी माह से अप्रैल तक फार्म भरने वालों को तांता लग गया था। सुबह 10 बजे से फार्म जमा होना शुरू होते थे, लेकिन लोग तड़के ही लाइनों में लग जाते थे। क्योंकि लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें उनकी डूबी रकम मिल जाएगी।

इसलिए दूर-दराज गांव से लोग सुबह पांच बजे ही कलेक्ट्रेट पहुंच रहे थे। वहीं निवेशकों का सैलाब देखकर शासन ने सभी तहसीलों में फॉर्म जमा कराए थे। लाखों फार्म जमा होने के बाद अब उनके फार्म पोटलियों में बंद हैं। अब लाखों फॉर्म की किस तरह से जांच होगी और उनकी कैसे फिडिंग होगी, यह भी जिला प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है।

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