हल्द्वानी: 950 करोड़ की 520 योजनाओं में 117 योजनाओं में ही हो पाया काम पूरा
हल्द्वानी, अमृत विचार। जल जीवन मिशन में जिले में 950 करोड़ रुपये की लागत से कुल 520 योजनाओं में काम होना है। जिसमें अभी तक केवल 117 योजनाओं में ही काम पूरा हो पाया है। जिसमें नैनीताल डिवीजन में सबसे अधिक 235 योजनाएं हैं जिसमें अभी तक केवल 52 योजनाएं पूरी हुई हैं।
भीमताल में 76 योजनाएं हैं जिसमें 31 योजनाएं ही पूरी हो पाई हैं। रामनगर जल निगम की 73 योजनाओं में 23 तथा जल संस्थान की 24 योजनाओं में 3 योजनाएं ही पूरी हो सकी हैं। हल्द्वानी की 58 योजनाओं में 6 योजनाएं, लालकुआं की 54 योजनाओं में केवल 2 योजनाएं पूरी हो पाई हैं।
हल्द्वानी में 24 ओवरहेड टैंक व 498.75 किमी. पेयजल लाइन बिछाई जानी है। जिसमें 11 टैंक का निर्माण चल रहा है लेकिन एक भी टैंक का निर्माण पूरा नहीं हुआ है और पेयजल लाइनें भी पूरी नहीं बिछाई गई हैं। बजट की बात करें तो 2023-24 वित्तीय वर्ष में मिला बजट जल संस्थान व जल निगम पूरा खर्च नहीं कर पाया है। वित्तीय वर्ष में योजनाओं में लगभग 210 करोड़ रुपये खर्च किया गया है।
यूजेएन (उत्तराखंड जल निगम) भीमताल में अभी तक 38.97 करोड़ रुपये के सापेक्ष 36.92 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। यूजेएन रामनगर में 20.94 करोड़ रुपये के सापेक्ष 20.74 करोड़ रुपये खर्च हुये हैं। हल्द्वानी में 22.85 करोड़ रुपये के सापेक्ष 21.82 करोड़ रुपये, यूजेएस (उत्तराखंड जल संस्थान) नैनीताल में 99.25 करोड़ के सापेक्ष 72.97 करोड़, यूजेएस हल्द्वानी में 14.92 करोड़ के सापेक्ष 14.60 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। यूजेएस लालकुआं में 22.40 करोड़ के सापेक्ष 22.38 करोड़ रुपये और यूजेएस रामनगर में 20.77 करोड़ रुपये के सापेक्ष 20.36 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं।
वन भूमि के अड़ंगे से नहीं हो पा रहा है काम
कई योजनाओं में वन भूमि के अड़ंगे के कारण काम नहीं हो पा रहा है। यूजेएन भीमताल में बसगांव ग्राम समूह सबसे बड़ी योजना है। जिसमें 12 करोड़ रुपये की लागत से काम किया जा रहा है। इसमें 2 टैंक का निर्माण होने के साथ ही पाइपलाइन भी बिछाई जानी है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार डीपीआर में एक निश्चित जगह के लिये अनुमति मिली थी लेकिन घर बहुत दूरी में होने के कारण पाइपलाइन बिछाने में दिक्कत आ रही है। यूजेएन रामनगर बगड़ गांव की योजना में लगभग 5 करोड़ रुपये से काम किया जाना है। यूजेएन रामनगर के छोई में 1 करोड़ रुपये से काम किया जाना है। यूजेएन रामनगर में गेबुआ खास और बुढलाकोट में भी काम किया जाना है। गेबुआ में ग्रामीणों ने विरोध किया था। यहां पहले से हैंडपंप लगा हुआ है जिस पर ग्रामीण टैंक बनाने का विरोध कर रहे हैं। इस कारण यहां भी काम शुरू नहीं हो पाया है।
हल्द्वानी में 58 योजनाओं में केवल 5 बोरिंग मशीनों से हो रहा है काम
58 योजनाओं पर केवल 5 बोरिंग मशीनों से काम चलाया जा रहा है। जबकि हल्द्वानी में 15 ट्यूबवेल में से केवल 5 में बोरिंग की गई है। जिससे ट्यूबवेल निर्माण भी सुस्ती से चल रहा है। योजना में अधिकांश ठेकेदार यूपी और हरियाणा के हैं। उनके पास बोरिंग की जो मशीनें उपलब्ध हैं वह यहां की पथरीली जमीन पर अनुपयोगी साबित हो रही हैं। जिन ठेकेदारों के पास मशीनें उपलब्ध हैं वह अधिक किराया वसूल रहे हैं।
जल संस्थान के अधिकारियों के अनुसार योजनाओं में देरी होने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। जिनको कुछ केस के माध्यम से समझाया जा रहा है। पेश हैं कुछ प्रमुख कारण-
केस-1
कुरियागांव योजना में एनजीओ गई थी जिसका ठेकेदार के साथ पेयजल लाइन के चक्कर में विवाद हुआ था। गुजरौड़ा फतेहपुर योजना में ग्रामीणों ने टैंक के लिये जगह देने से मना कर दिया। इसके बाद योजना में ग्राम प्रधान के साथ सहमति से पुराने टैंक को तोड़कर नया टैंक बनाने की बात हुई थी। लेकिन अब ग्रामीण पुराने टैंक को तोड़ने का विरोध कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस कारण काम अटका हुआ है।
केस-2
चांदनीचौक घुड़दौड़ा योजना में ज्योतियालखत्ता प्राइमरी स्कूल में (वन क्षेत्र में स्थित) ट्यूबवेल बनाया जाना है। वन विभाग जल संस्थान को वाहन ले जाने की अनुमति नहीं दे रहा है जिससे अभी तक बोरिंग नहीं हो पाई है। फिलहाल स्कूल पास में स्थित हैंडपंप से पानी की व्यवस्था कर रहा है। लेकिन कम गहराई वाला हैंडपंप होने के कारण इसमें भी दिन में केवल एक बार पानी आता है जबकि कई बार पानी आता ही नहीं है।
